Profile

नाम : सौरभ पुत्र रामदास सिंह

पद : मर्चेंट नेवी में सीनियर डेक कैडेट

निवासी : 369, जयदेवी नगर, मेरठ

कंपनी : स्नो व्हाइट एजेंसी लिमिटेड कंपनी

जहाज : एमटी रॉयल बेस

क्यों न खुशी में दीवाना हो जाएं

मैं स्नो व्हाइट एजेंसी लिमिटेड कंपनी के जहाज पर सीनियर डेक कैडेट था। इस जहाज पर हम 22 लोग थे। 17 इंडियन, तीन नाईजीरियन, एक पाकिस्तानी और एक बंग्लादेश का युवक शामिल थे। मैं 29 जनवरी 2012 को शिप से दुबई से मुंबई आया था। इसके बाद हम सभी को नाइजीरिया पोर्ट हार्टकोर्ट जाना था। मुंबई से जहाज पर सवार होकर हम लोग नाइजीरिया के लिए रवाना हो गए। जहाज में टैंकर्स और बल्क कंटेनर थे.

200 पाइरेट्स

हम लोगों को पता था कि इंडियन ऑशियन के सोमालियाई एरिया में डाकुओं का राज है। दो मार्च 2012 को जैसे ही हम लोगों का जहाज सोमालियाई एरिया से गुजरा, वहां के डाकुओं ने हमें घेर लिया। करीब दो सौ डाकुओं ने जहाज पर हमला बोल दिया। जहाज पर मौजूद सभी लोगों को बंधक बना लिया गया। पूरे जहाज में तोडफ़ोड़ करते हुए लुटेरों ने सब कुछ लूट लिया। हम लोगों को अगवा करने वाले डाकू जमाल पाइरेट्स एक्शन ग्रुप के थे। ये डाकू अपनी लोकल लैैंग्वेज में बात कर रहे थे। इंग्लिश नहीं जानते थे। बातचीत के लिए अब्दुल रहमान नाम के व्यक्ति को आगे किया गया। जो इनकी भाषा जानता था।

सरकार रही बेकार

इन डाकुओं ने एमटी रॉयल बेस के ऑनर से चार मीलियन यूएस डॉलर (करीब बीस करोड़ रुपए)की फिरौती मांगी। इंडियन गवर्नमेंट तक अपहरण का संदेश पहुंचा। इस बीच हमारे एक साथी सेकंड इंजीनियर संडे ऑटिगल की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। अब डाकुओं के कब्जे में हम 21 लोग बचे थे। करीब दो सौ डाकू हमारे इर्दगिर्द थे। इन डाकुओं ने हम सभी को अलग-अलग ग्रुप में बंधक बनाकर रखा था। चौबीसों घंटे हम पर निगाहें रखी जाती थीं। सरकार से वार्ता के लिए इन लोगों ने चेन्नई के मनीष और मुझे आगे किया था। हम लोग सरकार से बात करते थे। लेकिन जब कोई रेस्पांस नहीं मिलता तो ये लोग हमें यातनाएं देते थे।

और सोमालियाई डाकू हाथ पांव बांधकर डेक पर डाल देते थे

बहुत यातनाएं दी गईं

कई बार तो हम सात लोगों को कई घंटे तक हाथ-पांव बांधकर डेक पर डाल दिया जाता। हमारे सिर पर मानो मौत नाच रही थी। पता नहीं कब हमारी जिंदगी खत्म हो जाए। हमने बचने की उम्मीद भी छोड़ दी थी। समय बीतता गया और इन डाकुओं ने रिस्पांस नहीं मिलने पर अपनी मांग चार मिलियन से घटाकर दो मीलियन यूएस डॉलर कर दी। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कुछ नहीं किया। कभी कभार हम लोग अपने घर वालों से बात करने को कहते तो धमकी दी जाती। हमें बुरी तरह पीटा जाता। खाने में चावल, प्याज और हल्का-फुल्का दिया जाता था।

 

चोरी के सिम से बात

एक बार हम लोगों को डेक पर बंधन मुक्त किया गया तो डाकुओं के कमांडर का सिम हम लोगों ने चोरी कर लिया। हमारे पास मोबाइल और चार्जर था, जिसकी जानकारी डाकुओं को नहीं थी। इसके बाद हम लोगों में जिसको भी घर पर बात करनी होती थी तो चार लोग बाहर खड़े होकर निगरानी करते थे और एक बात करता था। काफी समय बीत गया। डाकू मांग घटा रहे थे, लेकिन सरकार का रूख खास नहीं था। हमारी कोई मदद नहीं की जा रही थी। इस दौैरान 10 मई 2012 को डायनाकोम कंपनी के जहाज स्मर्नी को सोमालिया डाकुओं ने अपने कब्जे में ले लिया। जिसके कैप्टन उपाध्याय मुंबई के लोखंडवाला के रहने वाले हैं।

आखिर छूट गए

डायनाकोम से डाकुओं ने 18 मीलियन यूएस डॉलर की मांग रखी थी। डायनाकोम का जहाज अपहरणकर्ताओं ने हमारे जहाज से कुछ दूर खड़ा कराया था। इस कंपनी ने अपने जहाज को छुड़ाने के लिए इसी महीने 18 मिलियन पैसा चुका दिया। 10 मार्च 2013 डॉयनाकोम के स्मर्नी जहाज के सभी बंधकों को आजाद कर दिया। हमारे यहां से पैसा मिलना संभव नहीं लग रहा था इसलिए हमारे जहाज को डाकुओं ने दो दिन पहले आठ मार्च को ही छोड़ दिया। डाकुओं को दूसरी कंपनी से ही मोटा पैसा मिल रहा था इसलिए उन्होंने हमारे जहाज को छोड़ देना ही अच्च समझा। हम छूटकर सलाला पहुंचे। सलाला से मस्कट और फिर न्यू देहली। हमें सलाला में इंडियन एम्बेसी के कैप्टन अर्जुन और नीरज मिले। इन लोगों ने हमें खाना खिलाया। हमारी कहानी सुनी। आज मैं अपने घर पहुंचा. 

एक साल से ज्यादा

हम लोग सोमालियाई डाकुओं के कब्जे में पूरे 372 दिन रहे। हम लोग पूरी तरह इंडियन सरकार पर डिपेंड थे। ये मेरा थर्ड ट्रिप था। इससे पहले सऊदी अरब, कुवैत और कई जगह घूमकर आए थे। सोमालिया डाकुओं का एरिया श्रीलंका के समुद्री इलाके तक है। हमको पता था लेकिन फिर भी जाना तो था ही।

होली, दीवाली और रक्षाबंधन एक साथ

सौरभ के लिए आज ही रक्षाबंधन, दीवाली और होली सारा त्योहार आज ही था। अपने परिवार से मिलकर वो बेहद खुश था। हर कोई उससे कहानी सुनने को अधीर हो रहा था। सौरभ जब घर आया तो पैरेंट्स ढोल-नागाड़ा बजाकर स्वागत किया गया। फूल मालाओं से उसे लाद दिया गया। पड़ोसी, दोस्त भी घर पहुंचे हुए थे। मां-बाप दोबारा जाने से रोक रहे हैं। सौरभ का कहना है कि मैं अब कुछ दिन आराम करूंगा। अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करूंगा। मेरे बड़े भाई सुशील और पिताजी का मेरी कामयाबी में बड़ा हाथ है। मैं अपने खास दोस्तों मयंक, रजत, आयुष, विशाल, अंकुश और अब्बास मिलूंगा। बहुत दिन हो गए।

अगर किसी लीडर का बेटा होता

सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। अगर किसी नेता का बेटा होता तो सरकार आगे आ जाती। लेकिन इनमें कोई नेता का बेटा नहीं था। आईबी के लोग भी घर पहुंच गए थे, लेकिन छुड़ाने के लिए कोई पहल नहीं हुई। सोमालियाई डाकू भी प्राइवेट कंपनी के जहाजों पर ही हमला बोलते हैं। सरकारी जहाजों को वे नहीं छेड़ते। क्योंकि सरकारी जहाजों पर नेवल आर्मी के लोग रहते हैं। जो डाकुओं को मार गिराते हैं। ऐसे में हमारी रक्षा खुद के हाथ होती है। लेकिन सैकड़ों डाकुओं के बीच कोई कुछ नहीं कर सकता।

इंटरनेशनल मुहिम के बाद भी खतरा

- यूरोपीय संघ सोमालियाई डाकुओं के खिलाफ कार्रवाई करता रहा है। ये अभियान दिसंबर 2014 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

- अमेरिका से लेकर भारत तक  समुद्री जहाज यात्री इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं।

- एंटी पायरेसी फंड के लिए दुनिया भर के देश संयुक्त अरब अमीरात में बैठक कर चुके हैं।

2010 में सबसे ज्यादा

- यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में सबसे ज्यादा 26 जहाज पर करीब छह सौ लोगों को समुद्री डाकुओं ने लोगों को अगवा किया था।

- 2008 से अब तक करीब ढाई हजार लोगों को अगवा किया गया और सौ लाख डॉलर से अधिक फिरौती दी गई।

- 2009 के मुकाबले 2010 में दस फीसदी अपहरण के मामले बढ़े।

- कुछ साल पहले ब्रिटेन की महिला का अपहरण किया गया तो आठ लाख पाउंड फिरौती देनी पड़ी थी।

- Dec। 19, 2012, Five Indian sailors kidnapped off coast of Nigeria

- June 25, 2012, Seven Indians on board a fishing boat have gone missing from Masirah waters in Oman। kidnapped by pirates।