मंत्री सहित कई वीआईपी ने नहीं चुकाया बिल

Meerut: वीआईपी की सेवा के चक्कर में परिवहन विभाग कर्जदार बन गया है। विभाग के कर्जदारों की सूची में सत्ताधारी मंत्री से लेकर कई अन्य वीआईपी शामिल हैं। नेता रोडवेज की चमचमाती सफेद एंबेसडर का मजा लेने से जरा भी नहीं चूकते हैं, लेकिन जब बात किराया अदा करने की आती है तो मुंह मोड़ लेते हैं, जिसके चलते निगम के कई विभागों पर लाखों रुपए बकाया हैं।

ये है व्यवस्था

शहर में किसी भी वीआईपी या वीवीआईपी के आने पर उसके लिए गाड़ी या टैक्सी का इंतजाम करने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की ही होती है, जिला प्रशासन के आदेश पर विभाग उन्हें गाड़ी मुहैया कराता है। ऐसे में गाडि़यों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी विभाग की ही होती है, जिसमें साल में लाखों रुपए का खर्च विभाग को अलग से उठाना पड़ता है।

सिटी मजिस्ट्रेट के पास आता है फैक्स

किसी भी वीआईपी के आने पर शासन से सिटी मजिस्ट्रेट के पास फैक्स के माध्यम से सूचना भेजी जाती है, जिसमें वीआईपी के नाम के साथ उसके आने की तिथि व दिन लिखा होता है। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट परिवहन विभाग के पास डिमांड लेटर बनाकर भिजवाते हैं। जिस पर विभाग उन्हे बताई गई तिथि व समय पर गाड़ी का इंतजाम करता है।

किस विभाग पर कितना बकाया

-मेरठ रेंज पुलिस विभाग पर 56 लाख 57 हजार रुपए

-राज्यपाल सचिवालय पर 1 लाख 57 हजार 270 रुपए।

- डीएम कार्यालय पर 2 लाख 89 हजार 768 रुपए।

-न्यायालय विभाग पर 3 लाख 45 हजार 316 रुपए।

-श्रीटोन विभाग पर 1 लाख 15 हजार रुपए।

बकाये की सूची में सत्ताधारी मंत्री

1. शिवपाल यादव, लोक निर्माण मंत्री

कितना बकाया: 58 हजार 589 रुपए।

यात्रा का विवरण: मार्च 2013, जुलाई 2013, दिसंबर 2013 को मेरठ, बहजोई, मुरादाबाद संभल के लिए गाड़ी का इंतजाम किया था।

2. चौ। साहब सिंह, धर्मार्थ कार्य विभाग राज्य मंत्री

कितना बकाया: 74 हजार 457 रुपए।

यात्रा विवरण: जून 2013, जुलाई 2013, फरवरी 2014, नवंबर 2014 बागपत, दिल्ली, मेरठ, सहारनपुर आदि।

3. नफीस अहमद, रेशम विकास मंत्री

कितना बकाया: 8081

यात्रा का विवरण: दिसंबर 2013 मेरठ।

4. सरफराज खां श्रम विभाग दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री

कितना बकाया: 26 हजार 761 रुपए

यात्रा का विवरण: दिसंबर 2013 सहारनुपर दौरा

5. शाहिद मंजूर श्रम एवं सेवायोजन कैबिनेट मंत्री

कितना बकाया: 2 लाख 22 हजार रुपए

यात्रा का विवरण: क्षेत्रीय दौरा

रीजन के पास कितनी गाडि़यां

मेरठ रीजन के पास 6 एम्बेसडर गाडि़यां थीं, जिनका मेंटेनेंस का खर्चा भी साल भर में 4 लाख रुपए से ज्यादा का आता था। परेशानी के चलते लखनऊ परिवहन विभाग ने कुछ दिनों पहले 4 गाडि़यों को लखनऊ मंगा लिया है।

एक गाड़ी मंत्री के पास फिक्स

नाम न छापने की शर्त पर परिवहन निगम के ही एक अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन के आदेश पर एक गाड़ी जिसका नंबर यूपी 32 ईएन 3455 है। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री शाहिद मंजूर के पास फिक्स लगाई हुई है।

नहीं मिलता बकाया

जिन वीआईपी के पास निगम का बकाया है। उन्हें विभाग की ओर से कई बार बकाया जमा करने को पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन वीआईपी को बकाया चुकाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है।

यात्रा के बाद जिला प्रशासन को बिल भेजा जाता है। उसके बाद यदि कोई बिल नहीं चुकाता है तो पत्र के माध्यम से बिल चुकाने की सूचना भेजी जाती है।

-अशोक कुमार, आरएम मेरठ रीजन

ऐसे बनता है बिल

यदि गाड़ी जिले में ही रहती है तो 25 रूपए पर किलोमीटर के हिसाब से कम से कम 100 किलोमीटर का चार्ज लिया जाता है। यदि गाड़ी के आउट ऑफ स्टेशन जाती है तो कम से कम 250 किलोमीटर का चार्ज किया जाता है। यह रेट लखनऊ से ही तय किए जाते हैं।

शासन करता है भुगतान

वीआईपी ड्यूटी में लगी परिवहन विभाग की गाडि़यों का भुगतान शासन करता है। यह कहना है जिलाधिकारी पंकज कुमार यादव का। उन्होंने बताया कि वीआईपी ड्यूटी में लगी गाडि़यों का बिल परिवहन विभाग भेजता है जिसे विभाग की रिकमंडेशन के बाद भुगतान के लिए शासन को भेज दिया जाता है। सालाना बजट में शामिल धनराशि का भुगतान किया जाता है।

परिवहन विभाग के वाहनों का भुगतान शासन करता है। इसका ब्योरा बनाकर शासन को भेजा जाता है। यह राशि बकाए की श्रेणी में नहीं आती।

पंकज यादव

जिलाधिकारी, मेरठ

वीआईपी ड्यूटी एवं विभिन्न अवसरों पर परिवहन विभाग से जो गाडि़यां मंगाई जाती हैं, उनका बिल पुलिस मुख्यालय भेजा जाता है। कई बार भुगतान में देरी हो सकती है किंतु बिल की अदायगी अवश्य होती है।

-दिनेश चंद्र दुबे

एसएसपी, मेरठ