खेलने की उम्र में बन रहे खूंखार

खेलने-कूदने की उम्र में उसने ‘वो’ कर दिया, जिसका नाम सुनकर ही लोगों की रूह कांप उठती है। ये जानकर आपके होश उड़ जाएंगे कि राकेश कुमार के 15 साल के बेटे शिवम् ने पैसे के लिए मर्डर कर दिया। शिवम् हाईस्कूल का छात्र है। उसकी ख्वाहिशें दिन पर दिन बढ़ती गईं। उसने एक दिन पिता से महंगा मोबाइल खरीदने के लिए पैसे मांगे, उन्होंने इंकार किया तो उसने मन में ठान लिया कि कैसे भी हो मोबाइल खरीदना है। बस फिर क्या था, स्कूल की छुट्टी होने के बाद वो घर नहीं गया और रात को पहुंच गया हाईवे। एक कार आती देख रोड पर ही लेट गया। कार चला रहे शख्स ने जैसे ही रोड पर बच्चे को लेटा देखा, उसने कार रोक दी। वो उसके पास पहुंचा कि उसने चाकू से उस पर वार कर दिया। जब तक वो संभलकर पाता, उसने उसकी हत्या कर दी। उसकी कार से लैपटॉप और पैसे लेकर वो भाग गया। उसने दूसरे दिन मोबाइल भी खरीद लिया। पर जुर्म कहां छुपने वाला था। वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया। इस वक्त जुवेनाइल कोर्ट में ऐसे एक नहीं कई मामले चल रहे हैं। ये ‘कहानी’ सिर्फ एक शिवम् की नहीं है बल्कि बढ़ती जरूरतें बच्चों को क्राइम की ओर ले जा रही हैं। ये हम नहीं जुवेनाइल कोर्ट में चल रहे करीब 1412 मामले कह रहे हैं। आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो मालूम चला कि वाकई स्थिति चौंकाने वाली है। तो पढि़ए ये रिपोर्ट और अपने जिगर के टुकड़े का रखिए पूरा ध्यान।

क्राइम की दुनिया में दस्तक

क्राइम की दुनिया में एक से बढक़र एक खूंखार अपराधियों का दबदबा है। पर वहां अब नए उम्र के किशोर भी अपनी बढ़ती जरूरतों की वजह से पहुंच रहे हैं। वो अपना भविष्य क्राइम की दुनिया में खोज रहे हैं। इतना ही नहीं इनका यूज कर रहे हैं खूंखार और शातिर बदमाश। जो इनसे क्राइम करवाते हैं और छुप जाते हैं। ये ‘बच्चे’ कत्ल, रेप, लूट और चोरी जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ये ‘बच्चे’ कुछ समय के लिए किशोर जेल जाते हैं और फिर क्रिमिनल बनकर बाहर आते हैं। और बस उनकी लाइफ चेंज हो जाती है।

नाबालिग क्रिमिनल्स

आज जिनको कानून उम्र के हिसाब से नाबालिग करार देती है, वे ‘कातिल’ बनकर सामने आ रहे हैं। रेप जैसे दिल दहला देने वाले क्राइम कर रहे हैं। घर में चोरी और सडक़ पर लूट की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। यहां तक की डकैती जैसी वारदात में भी नाबालिगों की दस्तक हो रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन बच्चों ने पुलिस पूछताछ में ये कुबूल किया है कि जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्होंने अपराध की दुनिया में कदम रखा है। ये खुलासा खुद एक रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर ने किया। इन अपराधियों के अपराध की सजा मामूली होती है। जिसकी वजह से उम्र के साथ-साथ ये वो बन जाते हैं, जिसकी कल्पना करना भी खतरनाक है।

लगातार बढ़ रही है संख्या

जुवेनाइल कोर्ट में ‘कातिल’ किशोरों की एंट्री लगातार बढ़ रही है। जुवेनाइल कोर्ट में इनके करीब 1412 मामले चल रहे हैं। जहां पिछले दो से तीन सालों में करीब 290 कत्ल के जुवेनाइल केस सामने आए। जिसमें इस साल करीब 45 जुवेनाइल मर्डर केस कोर्ट पहुंचे। रेप केस में भी खासी बढ़ोत्तरी हुई। पिछले दो सालों में रेप के करीब 140 केस सामने आए। इस साल करीब पंद्रह से अधिक रेप केस में नाबालिग रहे।

लूट और चोरी में नंबर वन

अब तक दर्ज केसेज में सबसे अधिक चोरी और लूट के मामलों में किशोरों की एंट्री हुई। 1412 जुवेनाइल मामलों में पचास फीसदी चोरी के आरोपी हैं। कई ऐसे भी हैं जो चोरी के मामलों में कई बार जेल जा चुके हैं। करीब बीस फीसदी लूट के केस हैं। किशोर सम्प्रेक्षण गृह में भी करीब 52 नाबालिक अपराधी हैं। जिनके ऊपर रेप, मर्डर और लूट के साथ चोरी के मामले दर्ज हैं।

ऐसे बनते हैं ‘अपराधी’

पूर्व पुलिस ऑफिसर्स का कहना है कि बच्चों के बढ़ते शौक उनमें अपराधिक प्रवृति बढ़ा रहे हैं। शौक पूरा करने के लिए कम उम्र में ही बच्चे अपराध करने लगते हैं। एक बार अपराध किया और फिर वे बार-बार करते हैं। सुधार के लिए उनको सम्प्रेक्षण गृह में रखा जाता है। जहां सुधरने के बजाए वे और बिगड़ते हैं। इन नाबालिग अपराधियों का साथ देते हैं बड़े अपराधी। जमानत कराते हैं और इनके शौक पूरे करने के लिए बड़ी वारदात कराते हैं। बाहर आकर ये अपने ही गैंग बना लेते हैं। फिर वारदात को बड़े स्तर पर अंजाम देते हैं।

रेप हो या मर्डर सजा तीन साल

जुवेनाइल एक्ट के तहत नाबालिग को अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। चाहे वह रेप करे या मर्डर। अपराध को देखते हुए कोर्ट सजा तय करती है। इसक बाद बाल अपराधी को सुधार गृह में रखा जाता है। जुवेनाइल एक्ट के सेक्शन बारह के तहत बाल अपराधी की बेल डिपेंड करती है। जिसमें जिला प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट महत्व रखती है। कोर्ट में प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट एक ओपिनियन मानी जाती है।

बेल के लिए प्रोविजन

प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट ही किसी बाल अपराधी को बेल या सजा दिलाती है। सेक्शन बारह के तहत अपराधी की प्रवृति देखी जाती है। बाहर जाकर क्या वह दोबारा अपराध करेगा, उसकी बार-बार अपराध करने की प्रवृत्ति तो नहीं, किसी अपराधी के संरक्षण में तो नहीं है, घर का माहौल कैसा है, वह सुधरेगा या फिर अपराध करेगा आदि प्रोविजन के आधार पर बेल डिपेंड करती है।

क्यों बन रहे ‘क्रिमिनल’

पुलिस के सामने आए अधिकतर केसेज में गर्ल फ्रेंड्स और उसके शौक पूरा करने के लिए कम उम्र में क्राइम का रास्ता पकड़ लिया। इनको अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ खुद को भी मैंटेन रखना पड़ता है। इसलिए इनमें ब्रांडेड कपड़े, जूते, महंगे मोबाइल और नशे का शौक लग जाता है। साइकियाट्रिस्ट बताते हैं कि गर्ल फ्रेंड और खुद के शौक पूरे करने के चक्कर में कम उम्र में किशोर क्राइम को अपना पेशा बन लेते हैं। जिनके हाथ में कलम पेंसिल होनी चाहिए उनके हाथ में चाकू, तमंचे और पिस्टल होते हैं।

बच्चों का रखें ध्यान

-12 से 18 साल की उम्र के बच्चे अक्सर राह भटक जाते हैं। इस उम्र में चकाचौंध और अपनी दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए वो शॉर्टकट अपनाते हैं। इसलिए इस टाइम उनकी हर एक्टिविटी पर नजर रखनी चाहिए।

-बच्चा अगर उदास रहे तो बातचीत करके उसकी प्रॉब्लम को दोस्त बनकर दूर करें।

-बच्चे के साथ पेरेंट्स की तरह नहीं बल्कि फ्रैंड जैसा बिहेवियर करें।

-कोशिश करें की अपने बच्चे की प्रॉब्लम को जल्द से जल्द सॉल्व करने की कोशिश करें।

-घर पर बच्चे की एक्टिविटी में कुछ गड़बड़ लगे तो अलर्ट हो जाएं।