- नगरायुक्त ने कहा, सफाई कर्मियों की संख्या बेहद कम, योजनाओं पर नहीं दिया गया ध्यान

-ए-टू-जेड ने किया कूड़े से खिलवाड़, डोर-टू-डोर योजना भी रही ध्वस्त

Meerut: केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 में उजागर हुई मेरठ की बदहाली का जिम्मा नगर निगम ने सिस्टम के सिर फोड़ दिया है। निगम ने कम संसाधन और चौपट योजनाओं को बदहाली का परिणाम बताया। इसके साथ नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह ने अगले एक साल में व्यवस्था के सुधारने की बात कही।

बदहाल मेरठ हुआ मेरठ

निगम मेरठ के लिए स्मार्ट सिटी की मांग करता रहा है, लेकिन केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 में मेरठ को 69वें स्थान पर रखा गया है। सर्वेक्षण में सामने आई मेरठ की बदहाली पर नगर निगम में हलचल का माहौल है। करोड़ों के सालाना बजट और बड़े तामझाम के बावजूद ये हाल है। उधर, निगम प्रशासन ने शहर की बदहाली का ठीकरा सिस्टम के सिर फोड़ दिया है। नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से सफाई कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है, जिसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित हुई है।

योजनाएं रहीं धड़ाम

नगर आयुक्त ने बताया कि पिछले कुछ सालों में शहर की स्थिति खराब हुई है। दो वर्ष पूर्व कूड़ा निस्तारण के लिए बुलाई गई ए-टू-जेड कंपनी कोई रिजल्ट नहीं दे सकी। उल्टा स्थिति बद से बदतर हो गई। इसके अलावा डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजनाएं भी धड़ाम रहीं। इसका पूरा दबाव शहर की सफाई व्यवस्था पर आ गया, जिसने शहर में गंदगी को बढ़ावा दिया।

पिछले कुछ सालों में स्थिति खराब हुई है। सफाई कर्मियों की कमी और कम संसाधनों ने खेल बिगाड़ा। अब बेहतरी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आगामी दिनों में परिणाम देखने को मिलेंगे।

उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त

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बदहाली के लिए मेयर को करेंगे सम्मानित

केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 में मेरठ को 69वें स्थान पर रखा गया है। सर्वेक्षण में हुए खुलासे पर सच संस्था मेयर हरिकांत अहलूवालिया को प्रशस्ती पत्र व शिल्ड देकर सम्मानित करेगी। संस्था के अध्यक्ष संदीप पहल ने बताया कि शहर की बदहाली का पूरा श्रेय मेयर को जाता है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी से मलिन बस्ती तक के सफर में मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। इसके लिए उनको सम्मानित किया जाएगा।