माता के मंदिर

- हजारों साल पुराना है नवचंडी माता का मंदिर

- मंदिर में नाम पर ही नौचंदी मेले का नाम पड़ा

Meerut : नौचंदी स्थित नवचंडी माता का मंदिर हजारों साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि मंदोदरी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदोदरी मंदिर में पूजा करने के लिए यहां पर आती थी। मंदिर के नाम पर ही नौचंदी मेले का नाम पड़ा है। मंदिर की दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। दूर दराज से लोग यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। नवरात्रों में मंदिर में पूजा अर्चना करने वालों की भीड़ उमड़ती है।

नवरात्रों में होती थी माता की चौकी

नवचंडी मंदिर में सैंकड़ो साल पहले नवरात्रों में तीन दिन माता की चौकी लगाई जाती थी। माता की चौकी में लोगों की भीड़ उमड़ती थी। सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती थी।

मनोकामना होती है पूरी

नवचंडी मंदिर में जो सच्चे मन से माता से मनोकामना मांगता है। वह पूरी जरूर होती है। माता के दरबार से आज तक कोई खाली नहीं गया है। जो एक बार आ गया वह बार-बार जरूर आता है।

गोद भरती हैं माता

नवचंडी माता के मंदिर के विषय में एक ऐसी भी मान्यता है कि जिस महिला के बच्चा नहीं हो रहा है और वह माता से बच्चा होने की मुराद मांगती है जो उसके बच्चा जरूर होता है। माता उसको निराश नहीं करती। उसकी कोख जरूर भरती है।

पहले तीन दिन लगता था मेला

नवरात्र के दिनो में यहां पर तीन दिवसीय मेला लगता था, जो बाद में 9 दिन का लगने लगा। बाद में यही मेला नौचंदी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वर्तमान में यही मेला एक माह से अधिक समय का लगता है।

मंदिर के सामने है मजार

नवचंडी मंदिर के सामने ही बाले मियां की मजार है। नवंचडी माता मंदिर की तरह ही बाले मियां की मजार दूर दराज तक प्रसिद्ध है। लोगों की दोनों की प्रति ही अपार श्रद्धा है।

यह एक सिद्धपीठ मंदिर है। माता के दरबार से आज तक कोई खाली नहीं गया, जिसने सच्चे मन से मन्नत मांगी है वह पूरी जरूर हुई है। मंदोदरी ने इस मंदिर का निर्माण कराया है। सैंकड़ों साल से हमारा परिवार इस मंदिर की देखभाल कर रहा है।

महेंद्र कुमार शर्मा, पुजारी नवचंडी मंदिर