- 'समाज पर सिनेमा का असर' विषय पर बेबाकी से बोले मंजूनाथ के निर्देशक संदीप ए। वर्मा

मेरठ : 'मास्टर क्लास' के बाद दिन का दूसरा सेशन फिल्म निर्देशक संदीप ए। वर्मा का सेमिनार से शुरू हुआ। समाज पर पड़ रहे सिनेमा के असर विषय पर उन्होंने बेबाकी से राय रखी। उनका कहना था कि आज का सिनेमा फूहड़ता परोस रहा है, जिसका समाज पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। पैनल में मौजूद प्रांशू कौशल और संतोष शुक्ला ने भी बताया कि सिनेमा और उसका संगीत किस तरह से समाज पर अपना असर छोड़ता है।

पीवीएस मॉल में शनिवार दोपहर तीन बजे संदीप ए। वर्मा का सेमिनार शुरू हुआ। 'समाज पर सिनेमा का असर' विषय पर उन्होंने बेबाकी से कहा कि आज के दौर का सिनेमा महज कमाई का जरिया बन गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि फिल्म में हीरो गुंडागर्दी करते हुए किसी सभ्य लड़की को 'पटा' लेता है, जबकि ऐसा सच में संभव नहीं है। इसे देख कुछ महानुभाव ऐसा करते हैं और परेशान होते हैं। उन्होंने कहा ऐसी फिल्में दर्शकों को ही नकारनी चाहिए। संतोष शुक्ल ने फिल्मी सफरनामे को सुरमयी प्रस्तुति दी। दशकवार सिनेमा और उसके संगीत में बदलावों को उदाहरण के साथ दर्शकों के बीच पेश किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से 70 के दशक के बाद से सिनेमा का संगीत पक्ष कमजोर हुआ और सिनेमा से इतर एलबम का बाजार किस तरह चल निकला।

संडे तक ही चलती है मसाला फिल्में

संदीप वर्मा ने लोगों से रूबरू होते हुए कहा कि मसाला फिल्मों की उम्र काफी छोटी होती है। बड़े बजट की फिल्में शुक्रवार को रिलीज होकर रविवार तक ही चलती हैं। उसके बाद लोगों को हकीकत पता लगती है और दर्शकों में कमी आने लगती है।