नाकामी
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पर उठे सवाल
6 साल में खोज पाए सिर्फ एक बच्चा
- बीते छह साल में 6 लापता बच्चों के मामले हुए दर्ज
- परतापुर से गायब बच्चे को बरामद नहीं कर सकी पुलिस
मनोज बेदी :
मेरठ। सूबे में लापता बच्चों की बरामदगी को लेकर पुलिस कई दावे करती है। बावजूद इसके शहर में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की कार्यप्रणाली सवालों के दायरे में है। महिला थाने की बैरक में बने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाने में एक इंस्पेक्टर, चार दरोगा, पांच सिपाहियों से ज्यादा का स्टाफ है, लेकिन छह सालों में सिर्फ एक ही लापता बच्चे को बरामद कर सके हैं। पांच बच्चों को उनकी टीम आज भी तलाश कर रही है।
ये हैं लापता बच्चे
- 2012 से थाना जानी निवासी हामिद का चार वर्षीय बेटा साले लापता
-2012 से थाना जानी के शिब्बु का पांच साल का बेटा सूरज लापता
-1 सितंबर 2015 को लिसाड़ी गेट से भूरे का पांच वर्षीय बेटा लापता
-22 जुलाई 2016 से भावनपुर निवासी बबलू की चार वर्षीय बेटी लापता।
- 2016 से टीपी नगर के शिवपुरम निवासी आनंद की छह वर्षीय खुशी लापता
एक बच्चा बरामद
पुलिस ने छह साल में लिसाड़ी गेट निवासी आठ साल की बेटी मैसूर को शुक्रताल अनाथ आश्रम से बरामद किया था। वह पिछले पांच साल से गायब थी।
2011 में स्थापना
गौरतलब है कि बसपा सरकार में मिसिंग बच्चों व बाल अपराध को रोकने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थाना बनाया गया था। मेरठ में इसकी स्थापना 2011 में की गई थी। सबसे पहले अलका सिंह को इस थाने की प्रभारी दरोगा थीं। अब तक थाने में कई इंस्पेक्टर बदल चुके है। अब इस थाने के इंस्पेक्टर शशि प्रकाश यादव है।
नहीं लगा सुराग
पिछले 10 दिन से परतापुर थाना क्षेत्र के गांव से दो साल के बच्चे प्रशांत का पुलिस सुराग नहीं लगा सकी है। इंस्पेक्टर दीपक शर्मा का कहना है कि बच्चे की तलाश की जा रही है। शीघ्र ही बच्चें को बरामद कर लिया जाएगा।
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अभी तक इस थाने में छह बच्चों की गुमशुदगी दर्ज हुई है, जिसमें एक बच्चे को बरामद किया गया है। बाकी मामलों की जांच चल रही है।
-राजवीर सिंह, कार्यवाहक प्रभारी, एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट