-शहर के मुख्य बाजारों से गायब हुए पॉलीथिन बैग
-आरामगाह में सरकारी अमला, जनता दिखा रही जागरुकता
Meerut: सूबे में पॉलीथिन बैन पर शासन के बैन का अनुपालन प्रशासन नहीं बल्कि शहर की जनता कर रही है। इसी का असर है कि शहर के मुख्य बाजारों से पॉलीथिन बैग लगभग गायब हो गए हैं। लोगों में जागरुकता का आलम यह है कि उन्होंने अपने प्रतिष्ठानों पर पॉलीथिन बैन के सूचना पट तक लगा रखे हैं।
कपड़े के बैग की मांग
पॉलीथिन बैग के बाद शहर में एका-एक कपड़े के बैग की डिमांड बढ़ गई है। बाजारों और प्रतिष्ठानों पर भी इसका प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। अब तक दुकानदार जहां धड़ल्ले से पॉलीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते थे, वो ही अब कपड़े के बैग को प्रमोट करते नजर आ रहे हैं। यहां तक कि टेलर्स भी आज कल कपड़े के बैग्स का आर्डर पूरा करने में जुटे हैं। वहीं दुकानदारों ने ब्रिकी के लिए बड़ी मात्रा में कपड़े के बैग्स मंगाए हैं।
पेपर बैग बने विकल्प
मार्केट जानकारों की मानें तो पॉलीथिन बैग्स का सबसे अधिक इस्तेमाल फुटकर में किया जाता था। इसके लिए आधा किलो से लेकर पांच किलों तक के पॉलीथिन बैग्स डिजाइन किए गए थे। इनको इस्तेमाल करने वालों में अधिकतर किराना स्टोर, जनरल स्टोर, फल व सब्जी विक्रेताओं की संख्या अधिक है, लेकिन अब बैन के बाद उसी डिजाइन के पेपर बैग शुरू किए गए हैं।
सरकारी अमला बेसुध
एक ओर जहां पॉलीथिन बैग पर जनता जागरुकता दिखा रही है, वहीं सरकारी अमला कान में तेल डालकर सो रहा है। हाल ये है कि सरकार की ओर से कर्णधार बने सरकारी विभागों को न तो इस बैन में दिलचस्पी है और न ही कोई फिक्र। यही कारण है कि सरकार की ओर से नियुक्त की गई सरकारी एजेंसियां अभियान के गेंद एक दूसर के पाले में फेंक रही हैं।
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ये हैं रेट
बैग रेट (रुपए)
जूट मिक्स दो रुपए से पांच रुपए
पेपर बैग पचास पैसे से लेकर एक रुपया
क्लोथ बैग साठ रुपए से लेकर दो सौ रुपए
(सभी रेट बैग्स के साइज के हिसाब से बताए गए हैं)
हम करेंगे पॉलीथिन बैन
जब से पॉलीथिन बैन हुई हैं, हमने विकल्प को अपना लिया है। इसकी एवज में कागज या कपड़े के बैग को दिया जा रहा है। हम जागरुक होंगे तो शहर जागरुक होगा।
धीरज भाटिया, दुकानदार
पॉलीथिन बैग बैन होते ही पेपर बैग की डिमांड में एका-एक बढ़ोतरी हुई है। पिछले एक हफ्ते में ये डिमांड आठ गुणा तक बढ़ गई है। पॉलीथिन पूर्ण रूप से बंद कर दी गई है।
अंकुर सेलर, गंज बाजार
शहर की बेहतरी के लिए जनता को जागरुक होना जरूरी है। हमने पॉलीथिन का पुराना स्टॉक नष्ट कर दिया है। इसकी एवज में जूट और कागज के थैले को प्रमोट किया जा रह है।
त्रिलोक नाथ, हॉल सेलर, सदर बाजार
पहले हम अपना प्रोडक्ट पॉलीथिन बैग में रखकर बेचते थे। बैन लगने के बाद से क्लोथ बैग का सहारा लिया गया है। हालांकि यह थोड़ा महंगा है, लेकिन चलेगा।
मोहित, स्वीट शॉप, सदर बाजार