-हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए एक पहल की दरकार

-हिंदी में हो हस्ताक्षर अभियान की पहल

-औपचारिकता और संगोष्ठियों में ना सिमटे हिंदी की विविधता

Meerut । हिंदी के उत्थान के लिए शहरभर में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। एक ही दिन हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर चर्चाएं होती है। डिजिटल युग में हिंदी भाषा संकुचित होती नजर आ रही है। वहीं हिंदी दिवस पर कार्यक्रम महज औपचारिकता में सिमटते नजर आते हैं।

हिंदी में करें हस्ताक्षर

पर्यटन विभाग से सेवानिवृत्त और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में जुटे शील वर्धन बताते हैं कि हिंदी का महत्व महज कुछ दिनों तक सीमित नहीं है। हिंदी के उत्थान के लिए नई पीढ़ी को जागरूक करना होगा अगर लोग हिंदी में हस्ताक्षर करने की आदत डालें तो भी कुछ सुधार हो सकता है। वे कहते हैं कि विदेशी जब भारत में घूमने आते हैं तो वे अंग्रेजी में नहीं बल्कि अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करते हैं। वहीं हिंदुस्तान में लोग हिंदी में हस्ताक्षर करने से भी परहेज करते हैं।

सिर्फ बुजुर्गो की मौजूदगी

वहीं ओमदत्त शर्मा कहते हैं कि हिंदी दिवस के कार्यक्रमों में बुजुर्ग और वरिष्ठ नागरिक ही नजर आते हैं। लेकिन जब तक युवाओं की सहभागिता और संजीदगी नहीं होगी। तब तक कोई खास बदलाव नजर नहीं आएगा। यानि हिंदी की हालत को सुधारने पहल जरूर करनी होगी।

अंधानुकरण से हो परहेज

वहीं लेखाधिकारी राकेश कुमार कहते हैं कि हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए जागरुकता की खास जरूरत है। ताकि पश्चिमी देशों का अंधानुकरण ना हो सके। वहीं देवेंद्र गोयल ने कहाकि हिंदी के उत्थान के लिए हम सब अगर छोटा सा भी कदम उठाए तो हम बड़े बदलाव की बुनियाद तैयार कर सकते हैं। वहीं डॉ। सुबोध गर्ग ने कहा कि देश की सुरक्षा, अखंडता को बनाए रखने के लिए हिंदी को जन जन तक पहुंचाना होगा।

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राष्ट्रीय अस्मिता का माध्यम

Meerut । अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा मंगलवार को सूरज कुंड स्थित केशव भवन पर हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर मुख्य अतिथि राकेश कुमार ने कहा कि भाषा राष्ट्रीय अस्मिता का माध्यम बनकर जीवित रहती है.डॉ। शिवचरण ने कहा कि भारत को अपनी राष्ट्रभाषा के संबंध में आत्म विश्लेषण कर हिन्दी को स्थापित करना चाहिए। इस दौरान डॉ। मूलचंद, सूरजप्रसाद, डॉ। वेदप्रभा, राम सिंह, देवेंद्र, प्रकाशचंद आदि मौजूद रहे।

काव्य पाठ से मन मोहा

Meerut । पुरूषोत्तम दास टंडन हिन्दी भवन समिति द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान कविता पाठ का भी आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ। वेदप्रकाश बटुक, राजकुमार, पंकज प्रखर, डॉ। मीनाक्षी शास्त्री, चंद्रशेखर, ओंकार, गुलशन, डॉ। कृष्ण कुमार, सत्यपाल आदि मौजूद रहे।