मेरठ (ब्यूरो)। वर्ल्ड में इस समय ड्रिकिंग वॉटर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। साउथ अफ्रीका का केपटाउन ऐसा शहर बन चुका है, जहां पीने का पानी खत्म हो चुका है। केपटाउन की प्रॉब्लम अब दुनिया के लिए अलार्म है कि अगर हम समस्या से अलर्ट नहीं हुए तो भारत के कई हिस्से भी ड्रिकिंग वॉटर के लिए परेशान हो जाएंगे। यही नहीं, मेरठ के कुछ इलाकों का हाल भी कुछ ऐसा है, जहां पर भूगर्भ जल स्तर डार्क जोन यानि चिंताजनक स्थिति में है। दरअसल, भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी तमाम पहल की जाती हैं, बावजूद इसके, जल संचयन के प्रयास नाकाफी हो रहे हैं। जरूरी है आम लोग भी जागरूक रहें तभी हम जल संचयन की दिशा में बेहतर कदम उठा सकते हैं। मेरठ जिले में ग्राउंड लेवल वाटर की स्थिति की पड़ताल करने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सात दिवसीय कैंपेन की शुरुआत की है। इसके तहत सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं की खामियों और प्रयासों को टटोलने का प्रयास करेंगे।

300 सेमी से नीचे पहुंचा वाटर लेवल
जल संचय और संरक्षण की जिम्मेदारी भूगर्भ जल विभाग की है। इसके लिए विभाग जल संचय के लिए जागरुकता से लेकर दोहन पर नजर रखता है। इसके लिए भूगर्भ जल विभाग शहर में 50 से अधिक स्थानों पर पीजोमीटर के जरिए भूजल स्तर की मॉनीटरिंग कर रहा है। हर साल मानसून से पहले और मानसून सीजन खत्म होने के बाद भूजल स्तर की रीडिंग ली जा रही है। ग्राउंड वाटर की प्रयोग की निगरानी ना होने के कारण घरों से लेकर निजी संस्थानों, होटलों, गैराज में जमकर पानी का दोहन हो रहा है। इसके चलते पिछले पांच साल में वाटर लेवल 300 सेमी से नीचे जा चुका है।

वाटर लेवल गिरने की वजह
तेजी से बढ़ती पॉपुलेशन
सबमर्सिबल का अत्याधिक उपयोग
एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रीज में अत्याधिक जलदोहन
जरूरत से कम बारिश होना
रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट की कमी
तालाबों की कमी या सही से देख-रेख नहीं हो पाना

सात ब्लॉकों में खतरा
गौरतलब है कि जनपद के 12 ब्लॉक में से सात ब्लॉक की स्थिति भूगर्भ जल स्तर के मामले में खराब बनी हुई है। इनमें हस्तिनापुर, खरखौदा, माछरा, मवाना, परीक्षितगढ़, रजपुरा और मेरठ क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल जोन में बने हुए हैं। हालांकि गत वर्षों की अपेक्षा प्री मानसून के डाटा से ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति में इस बार सुधार दिखा है। पोस्ट मानसून के आंकडों में सुधार की संभावना जताई जा रही है।

ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति
ब्लॉक जोन
दौराला सेफ जोन
हस्तिनापुर सेमी क्रिटिकल
जानी सेफ
खरखौदा क्रिटिकल
माछरा क्रिटिकल
मवाना सेमी क्रिटिकल
मेरठ अति दोहित
परीक्षितगढ़ सेमी क्रिटिकल
रजपुरा सेमी क्रिटिकल
रोहटा सेफ जोन
सरधना सेफ जोन
सरुरपुर सेफ जोन

क्रिटिकल जोन से बाहर हुआ रजपुरा
साल 2020 तक तीन ब्लॉक खरखौदा, रजपुरा और माछरा क्रिटिकल जोन में शामिल थे। इन जोन को क्रिटिकल जोन से बाहर निकालने के लिए भूगर्भ जल संरक्षण विभाग द्वारा जल चौपाल कार्यक्रम चलाकर लोगों को जागरुक किया गया। इस प्रयास के चलते दो साल में रजपुरा ब्लॉक क्रिटिकल जोन से बाहर आ गया है। लेकिन अभी भी खरखौदा और माछरा की स्थिति खराब बनी हुई है। वहीं हस्तिनापुर, मवाना, परीक्षितगढ़, रजपुरा और मेरठ सेमी क्रिटिकल में बने हुए हैं।

भोले की झाल बुझा रहा प्यास
गौरतलब है कि वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र की 17,28000 आबादी की 268 एमएलडी पेयजल डिमांड है। इसको पूरा करने के लिए भोला की झाल स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 100 एमएलडी गंगाजल की सप्लाई होती है। बाकि 63 प्रतिशत आबादी के लिए 169 नलकूपों से मिलने वाले 324 एमएलडी पेयजल से पानी की सप्लाई होती है। साथ ही भोले की झाल से शोधित गंगाजल को स्टोर करने के लिए 9 में से 5 भूमिगत जलाशयों का प्रयोग किया जा रहा है जबकि 4 अभी बंद हैं।

ये हैं नए जलाशय
नये भूमिगत जलाशय गोलाकुआं, विकासपुरी, माधवपुरम, बच्चापार्क, नौचंदी, शास्त्रीनगर ए ब्लाक

प्री मानसून वाटर लेवल में साल दर साल सुधार हो रहा है। जागरुकता के चलते रजपुरा ब्लॉक क्रिटिकल से सेमी क्रिटिकल जोन में आ गया है। लेकिन अभी भी भूगर्भ जल संचय की जरुरत है।
नवरत्न कमल, सहायक भू भौतिकी विधि अधिकारी