मेरठ (ब्यूरो): प्रकृति रहस्य, आकर्षण और रोमांच से भरी हुई है। इसमें भरपूर वैज्ञानिक चेतना और सृजन है। जब बच्चे इस विज्ञान को जानेंगे, तभी उनमें प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होगी। वो संवेदनात्मक रूप से संरक्षण से जुडेंग़े। ये बातें ग्लोबल सोशल कनेक्ट के कार्यक्रम में पर्यावरण विशेषज्ञों ने कही। अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर रविवार को गढ़ रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि एवं डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि पश्चिम उप्र में प्रदूषण बड़ा मुद्दा है। हाल के वर्षों में प्रदूषण बढ़ा है, जिससे निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। कचरा कतई न जलाएं। कहा कि लोगों के सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा।

सामाजिक जिम्मेदारी लेनी होगी
पर्यावरणविद् डॉ। मधु वत्स ने कहा कि हम और आप रोजाना अपशिष्ट पदार्थ पैदा कर रहे हैं। अस्पतालों में बायोमेडिकल कचरा बन रहा है, लेकिन निस्तारण मानकों के मुताबिक नहीं है। महिलाएं भी अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण में सहयोग करें। शिक्षाविद् डॉ। मंजू गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण को बच्चे पाठ्यक्रम की तरह पढ़ते हैं, लेकिन इससे जुड़ नहीं पाते। कवि ईश्वरचंद गंभीर ने पृथ्वी, सूर्य, पानी एवं हवा को कविताओं के माध्यम से एकसूत्र में पिरोया। ग्लोबल सोशल कनेक्ट की अध्यक्षा ऋचा ने कहा कि अपने बच्चों को प्रकृति से जोडऩा होगा। सचिव अभिषेक शर्मा ने कहा कि हम शायद भूल रहे हैं कि धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है। उदित चौधरी ने कहा कि पेड़ लगाने के लिए हमें सामाजिक जिम्मेदारी लेनी होगी। मंच का संचालन संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर राहुल गौतम ने किया। अंत में ग्लोबल सोशल कनेक्ट के कोआर्डिनेटर विपुल सिंघल ने आभार जताया।