क्या है क्लीन ड्राइव?

- सडक़ों के किनारे डस्टबिन की संख्या मौजूदा संख्या से पांच गुनी कर दी जाए।

- किसी राहगीर को अगर किसी तरह का कचरा फेंकना है तो उसे कोई जगह तो मिले।

- अलग-अलग तरीके के कचरे (प्लास्टिक, कांच, सब्जियां, कागज) के लिए अलग डस्टबिन हो।

- लोगों को कचरे का अंतर पता हो इसलिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाना।

- इस काम के लिए नगर निगम से सहयोग लेना और सहयोग देना दोनों प्रक्रिया चलेगी

क्या है प्लान

1. अभियान के साथ स्कूल और कॉलेज स्टूडेंट्स को जोड़ा जाएगा।

2. स्टूडेंट्स एंबेस्डर्स के तौर पर अन्य स्कूलों में जाकर बच्चों को अवेयर करेंगे।

3. गाजियाबाद में हिंडन इको पार्क तैयार किया जा रहा है, जिसे शहर के कचरे से सजाया-संवारा जाएगा।

4. सफाई का ये प्रयोग मेरठ के कुछ पार्कों पर भी लागू किया जाएगा।

5. मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने इस प्रयोग के लिए संस्था को पांच पार्क देने की बात कही है।

6. नगर निगम से सहयोग लेकर इसमें टीम बनाकर काम किया जा सकता है

पहल करें

मिसेज इंडिया इंटरनेशनल 2011 और माई क्लीन इंडिया की प्रेसिडेंट  डॉ। उदिता त्यागी ने कहा कि सोसायटी में दूसरों पर उंगलियां उठाने का चलन ज्यादा है। अब हमें खुद आगे बढक़र बदलाव लाना होगा। अपने आसपास की सफाई के लिए नगर निगम पर उंगलियां उठाना बंद करना होगा। सडक़ों पर कचरा फेंकने के बजाय डस्टबिन खोजने की आदत डालनी होगी, तभी हम अपने आसपास को साफ रख पाएंगे। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को अपनाकर शहर को गंदगी मुक्त किया जा सकता है।

सबसे बड़ा रोल बच्चों का

तो ढूंढते रह जाओगे

सिटी को साफ करने में सबसे बड़ा रोल बच्चों का हो सकता है। बच्चे अगर ठान लें तो शहर को एकदम साफ और सुंदर बनाया जा सकता है। इसलिए बच्चों को ही इस अभियान का एंबेस्डर बनाने की तैयारी है। सबसे पहले जरूरी है कि लोगों को बायो डिग्रेडिबल और नॉन बायो डिग्रडिबल कचरे में अंतर करना समझाना होगा। लोगों को पता होना चाहिए कि कौन सा कचरा पर्यावरण के लिए हानिकारक है और कौन सा नहीं। घरों में इन दोनों कचरों को अलग-अलग रखने की आदत डालनी होगी। ये चीज बच्चे ही अपने घरों में लागू कर सकते हैं और सिखा सकते हैं।

प्लास्टिक से बॉटल हाउस

प्लास्टिक से बनी पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें गंदगी और पॉल्यूशन का बड़ा कारण हैं। हिल स्टेशंस के सुंदर पहाड़ों पर सबसे ज्यादा गंदगी इन प्लास्टिक की बोतलों और रैपर्स की वजह से होती है। सैलानी अपनी मस्ती में पहाड़ों की सुंदरता को रौंद देते हैं। गाजियाबाद में प्लास्टिक बॉटल्स को रियूज करने की अवेयरनेस फैलाई गई। बच्चे इन बॉटल्स में अपने घर का नॉन बायो डिग्रेडेबल कचरा और थोड़ी मिट्टी को भरकर पार्क में इकट्ठा करते हैं। फिर इन बॉटल्स को कंस्ट्रक्शन में यूज किया जाता है। माई क्लीन इंडिया का दावा है कि प्लास्टिक की बोतलों से बनी दीवारें सीमेंट की दीवारों से ज्यादा मजबूत होती हैं। एक हफ्ते के अंदर इस एक्सपेरिमेंट का वेबपेज साइट पर होगा।

कौन थे मौजूद

तो ढूंढते रह जाओगे

माई क्लीन इंडिया और नीर फाउंडेशन के मेंबर्स सोमवार को शहर के आला अधिकारियों और नेताओं से मिले। मेरठ को साफ करने का ब्लू प्रिंट उनके सामने रखा गया। सभी ने क्लीन माई इंडिया के प्लान की सराहना की और अपने सुझाव भी दिए। मेंबर्स ने सांसद, मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष, कमिश्नर, डीएम और एमडीए के वीसी से मिले। इसके अलावा ये सभी पर्यावरण प्रमी विद्या नॉलेज पार्क और गार्गी स्कूल भी गए और वहां स्टूडेंट्स से इस कैंपेन में सहयोग की अपील की। इस अवसर पर नीर फाउंडेशन के डायरेक्टर रमन त्यागी और मेंबर साक्षी गुप्ता व लिटिल त्यागी भी साथ रहे।

आओ मिलकर सफाई करें

मैं जब पहली बार नैनीताल गया तो वहां नैनी झील के आसपास पसरी गंदगी को देखकर काफी ठेस लगी। तभी मैंने वहां की सफाई का फैसला किया। नैनी झील के आसपास के क्षेत्र को साफ करने में वहां के बच्चों ने सबसे ज्यादा एक्टिव रोल प्ले किया। बच्चों ने खुद मॉल रोड की सफाई का बीड़ा उठाया। और आज नैनी झील की तस्वीर दुनिया के सामने है।

-रेमको वैन सैनटेन, माई क्लीन इंडिया के चेयरपर्सन

तो ढूंढते रह जाओगे