- आरटीआई एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए कार्यशाला का आयोजन आज
- कार्यशाला में अफसरों को दी जाएगी नियमावली 2015 की जानकारी
<- आरटीआई एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए कार्यशाला का आयोजन आज
- कार्यशाला में अफसरों को दी जाएगी नियमावली ख्0क्भ् की जानकारी
Meerut: Meerut: सरकारी कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए भारत सरकार ने जो आरटीआई एक्ट-ख्00भ् लागू किया था। अब उसे धार देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मंगलवार को कमिश्नरी में एक पांच दिवसीय मंडलीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में उ.प्र। आरटीआई नियमावली ख्0क्भ् के अंतर्गत अफसरों को नए नियमों की जानकारी दी जाएगी। इस दौरान मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी अफसरों से आरटीआई एक्ट को लेकर सवाल-जवाब करेंगे।
बॉक्स
-एक्ट के अंतर्गत सूचना का जवाब देने की समयावधि फ्0 दिन है, जबकि तीन-तीन माह तक भी जवाब नहीं दिया जाता।
-सरकारी विभागों में सूचना को एक-दूसरे अनुभागों से संबंधित बताकर लटकाया जाता है।
-प्रथम अपील पर भी कोई सुनवाई नहीं होती।
-आयोग में छह से आठ माह तक अपील पेंडिंग पड़ी रहती हैं।
-सूचना अधिकारी सही जवाब न दे कर घुमा फिराकर जवाब देते हैं।
-कई सूचनाओं का जवाब उपलब्ध न होना बताया जाता है।
-एक्ट की धारा 7(फ्) के अंतर्गत इमरजेंसी सेवाओं की सूचना ख्ब् नहीं दी जाती।
-सूचना न देने पर अधिकारियों से जुर्माना नहीं वसूला जाता।
-सूचना न देने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
आयोग में मेरी क्9 अपील पेंडिंग पड़ी हैं। जबकि सरकारी विभागों में फ्0 से अधिक आरटीआई पेंडिंग हैं। समय पर सूचना न मिलने से आरटीआई मांगने वालों का शोषण होता है।
लोकेश खुराना, आरटीआई कार्यकर्ता
अफसरों द्वारा आरटीआई अधिनियम का मजाक बनाया जा रहा है। समय पर सूचना न देने या सवालों से इतर अनावश्यक जानकारी देना विभागों की कार्यशैली बन गई है। आयोग में मेरी ख्भ् अपील पेंडिंग हैं।
नरेश अग्रवाल, आरटीआई कार्यकर्ता
सभी सरकारी विभाग सूचना अधिकार के प्रति उदासीन हैं। अधिकतर सूचना का जवाब सृजित न होना बताया जाता है, जबकि सूचना उसी विभाग से संबंधित होती है। आयोग में मेरे चार मामले पेंडिंग हैं।
अजय शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता