और कारवां बन गया

औघडऩाथ मंदिर से शाम छह बजे कैंडल मार्च शुरू हुआ। मार्च में शामिल लोगों ने हाथों में जलते हुए कैंडल पकड़े और दिल से दामिनी को याद किया। कैंडल मार्च जिन राहों से गुजरा पहले से इंतजार में कैंडल जलाकर खड़े लोग उसमें शामिल हुृए। सैंकड़ों की संख्या के साथ शुरू हुआ मार्च अपने समापन स्थल तक पहुंचते-पहुंचते विशाल जनसमूह में बदल गया। रास्तों में जाते वाहनों में सवार शहर वासी अपने वाहनों को सड़क पर छोड़कर कैंडल मार्च में शामिल हुए और समापन तक साथ रहे।

रखा मौन, लिया संकल्प

मंदिर से शुरू हुआ कैंडल मार्च दो किलोमीटर कर सफर तय कर शहीद स्मारक पहुंचा। जहां मार्च में शामिल सिटी वासियों ने दामिनी की याद में कैंडल जलाए। इसके बाद दो मिनट का मौन रखकर दामिनी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कैंडल मार्च में शामिल रहे शहर वासियों ने माना कि भले ही आज दामिनी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी याद और हिम्मत सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। लोगों ने इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया।