- आधार कार्ड ने सात साल बाद कराया मां-बेटे का मिलन

- बेटे को देखते ही मां की आंखों से बहने लगे आंसू

- जेल से सैंकड़ों लेटर किए पोस्ट, लेकिन मायूसी हाथ लगी

- सात साल से रेप के आरोप में सजा काट रहा है बूढ़ी आंखों का सहारा

Meerut: इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है। मां बहुत गुस्से में हो तो रो देती है। सख्त राहों में आसान सफर लगता है। ये मेरी मां की दुआओं का असर लगता है। मशहूर शायर मुन्नवर राणा की ये पंक्तियां मध्यप्रदेश के नत्थू पर सही चरितार्थ हो रही है। सात साल से अपने बेटे को तलाश रही बूढ़ी आंखों को शुक्रवार को उस समय सुकून मिला, जब आधार कार्ड के आधार पर तलाशती हुई वह जेल पहुंची। बेटे को सलाखों के भीतर देख मां फूट फूट कर रोने लगी। मां को देखकर बेटे की आंखें भी छलक उठी। बहरहाल बूढ़ी आंखों में अपने खोए बेटे को मिलने के बाद उम्मीद की किरण जाग गई। वो इस सब के लिए भारत सरकार की आधार कार्ड योजना का शुक्रिया कर रहे हैं।

नौकरी करने निकला था

मध्य प्रदेश के गांव वाईसी थाना धनपुरी जिला शहडोल निवासी नत्थू सिंह 20 नवंबर सन 2007 को घर से दिल्ली नौकरी करने निकला था। जब उसे दिल्ली में नौकरी नहीं मिली तो काम की तलाश में गाजियाबाद आ गया और किसी निजी कंपनी में नौकरी करने लगा।

दोस्त के चक्कर में फंस गया

मुलाकात के दौरान नत्थू का कहना है कि कि कमरे का किराया ज्यादा होने के चलते वह एक दोस्त के साथ उसके कमरे पर रहने लगा। नौकरी करते हुए 15 दिन ही हुए थे कि उसका रूममेट किसी युवती को लेकर भाग निकला। जिसकी चपेट में मुझे भी पुलिस ने उठा लिया।

मुकदमा हुआ दर्ज

पुलिस ने थाना किठौर में दोस्त व उसके खिलाफ रेप की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। जिसके चलते 1 जनवरी 2008 को उसे एडीजे 16 कोर्ट ने दस साल की सजा में जेल भेज दिया।

कई लेटर किए पोस्ट

नत्थू सिंह ने बताया कि इन सात सालों ने उसने जेल से 170 लेटर पोस्ट किए, लेकिन कोई जवाब नहीं आया, जिसके चलते वह समझता था कि घरवाले उससे मिलना नहीं चाहते हैं।

आधार ने मिला दिया

मां ने बताया कि पिछले सात साल वे बेटे को खोजने के लिए दर-दर भटक रही है, लेकिन हर जगह से असफलता ही हाथ लगी। बताया गया वह तो समझ बैठी थी कि अब वह अपने इकलौते बेटे से कभी नहीं मिल पाएगी। पांच माह पहले जेल में अभियान चलाकर कैदियों के आधार कार्ड बनवाए गए थे। जिसमें नत्थू का आधार कार्ड भी बना था। नत्थू के वोटर आईडी कार्ड के अनुसार आधार कार्ड मूल पते पर पहुंचा।

दस दिन पहले पता चला

नत्थू की मां रमेशरी ने बताया कि करीब एक माह पहले पोस्टमैन आधार कार्ड लेकर घर पहुंचा था। उन्हें किसी ने बताया कि आधार नंबर नेट पर डालने से नत्थू की जानकारी मिल सकती है। नेट के माध्यम से ही उन्हें पता चला कि आधार कार्ड मेरठ जेल का बना हुआ है। जब से आधार कार्ड का पता मेरठ होने का पता चला। तभी से बेटे से मिलने की चाह फिर से जाग उठी और अपने भाई रामू के साथ मेरठ जेल आ पहुंची। जब मां ने पहली बार मुलाकात के दौरान बेटे को देखा तो फूट-फूटकर रोने लगी। लेकिन कुछ देर बाद ही मां की आंखों पर बेटे से मिलने की चमक साफ दिखाई दे रही थी।

मां को दिया मेहनताना

जब मां व मामा उससे मिलकर वापस मध्य प्रदेश लौट रहे थे तो नत्थू ने उन्हे जेल में किए काम की कमाई 3000 रुपए दिए। जिसे देखकर मां की आंखें फिर से भर आई और बेटे को गले लगाक र रोने लगी।

सरकार को दिया धन्यवाद

नत्थू की मां ने भारत सरकार की आधार कार्ड योजना का धन्यवाद दिया। जिसकी वजह से उसका सात साल से खोया बेटा वापस मिल गया।

आधार कार्ड की वजह से एक मां ने बेटे को मिला दिया। इससे अच्छा क्या हो सकता है। करीब दो माह बाद नत्थू की सजा पूरी हो रही है।

एचएम रिजवी, जेल अधीक्षक