मेरठ (ब्यूरो)। श्रावण मास के दूसरे सोमवार यानी आज सोमवती अमावस्या है। ज्योतिषों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन हर्षण योग, पुनर्वसु नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन हर्षण योग सुबह 7.58 मिनट पर शुरू होगा और पुनर्वसु नक्षत्र पूरे दिन रहेगा। इसके साथ इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा। वहीं इस विशेष दिन पर सावन महीने का द्वितीय सोमवार भी पड़ रहा है। ऐसे में इस शुभ योग में भगवान शिव की उपासना करने से भोलेनाथ अपने भक्तों से अतिप्रसन्न होंगे। जिससे अक्षत फल की प्राप्ति होगी।

मिलेगा विशेष फल
ज्योतिष डॉ। अनुराधा गोयल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म, तर्पण इत्यादि करने से व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन सावन का दूसरा सोमवार व्रत भी रखा जाएगा। इस बार सावन, सोमवार और अमावस्या का योग बना है। इस दिन शिवजी का अभिषेक करें। ऐसे में इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से भी साधक को विशेष लाभ मिलेगा। अमावस्या की मध्य रात्रि में भगवान शिव और शक्ति की संयुक्त साधना भी आध्यात्मिक सफलता की प्राप्ति कराने में समर्थवान रहती है। पौराणिक तथा शास्त्रीय मान्यता के आधार पर अमावस्या पर स्नान की परंपरा है, वहीं पितरों के निमित्त तर्पण तथा अन्य पूजा के साथ गो ग्रास व अन्नदान आदि करने का विधान है।

कई राशियों में सूर्य का प्रवेश
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि सूर्य देव इस दिन मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। जिसे कर्क संक्रांति कहा जाएगा। ऐसे शुभ संयोग में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करना श्रेष्ठ कारी रहेगा। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 16 जुलाई की रात को 10 बजकर आठ मिनट से प्रारंभ हो चुकी है। सावन का द्वितीय सोमवार के दिन रुद्राभिषेक तथा वृक्षारोपण एवं पितरों का तर्पण करना शुभ फलदाई होता है।

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
प्रथम शुभ मुहूर्त- 17 जुलाई को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक
द्वितीय शुभ मुहूर्त- सुबह 9 बजकर 1 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर दोपहर के 12 बजकर 55 मिनट तक

पांच ग्रह एक राशि में
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार ग्रह गोचर की गणना के अनुसार चलें तो सूर्य, चंद्र, बुध, राहु, केतु ये पांच ग्रह 1966 में (श्रावण अधिकमास) में उन्हीं राशियों में थे, जो क्रमानुसार सूर्य कर्क राशि में, चंद्र मिथुन राशि में, बुध कर्क राशि में और राहु-केतु क्रमश मेष और तुला राशि में थे। इस बार इन पांच ग्रहों की स्थिति इन्हीं राशियों में गोचर करेंगी।