मेरठ (ब्यूरो)। शहर के मोहल्लों की गलियों में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या को कम करने में भले ही नगर निगम नाकाम साबित हो रहा हो लेकिन शहर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो नगर निगम का काम करने में जुटा है। कुछ लोगों ने बकायदा गैैंग की वीडियो बनाकर निगम के साथ शेयर की है। वीडियो में कुत्ता चोरी की पुष्टि होने के बाद निगम ने सोशल मीडिया पर नोटिस जारी करते हुए एफआईआर दर्ज करा दी है।

कुत्ते चोरी होने का मामला
गौरतलब है कि शहर के लोगों को कुत्तों के आतंक से बचाने के लिए गत वर्ष नगर निगम ने परतापुर बराल के शंकर नगर फेज-दो में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर शुरू किया था। इस सेंटर में अब तक करीब 15 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। इसके लिए बकायदा एनिमल केयर टीम शहर में रोजाना अभियान चलाकर आवारा कुत्तों को पकड़ती है और बर्थ कंट्रोल सेंटर में नसबंदी के लिए ले जाती है। उसके बाद नसबंदी करके कुत्ते को वापस उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है, जहां से पकड़कर लाए थे। लेकिन पिछले कुछ माह से नगर निगम की डॉग कैचिंग टीम के नाम पर एक अन्य गैंग सक्रिय हो गया जो शहर के वीआईपी मोहल्लों से आवारा कुत्तों को लाठी-डंडों से पीटकर क्रूरता के साथ पकड़कर गाड़ी में डालकर ले जाता है।

निगम के पास पहुंचा वीडियो
इस गैंग के बारे में खुलासा तब हुआ जब गत सप्ताह कुत्तों को पकडऩे का एक वीडियो नगर निगम के अधिकारियों तक पहुंचा। पल्लवपुरम की उदय कालोनी में कुछ लोग आवारा कुत्तों को लाठी-डंडों की मदद से मारपीट कर क्रूरता से पकड़कर गाड़ी में भर रहे थे। लोगों ने इसका विरोध किया और खुद को नगर निगम का कर्मचारी बता दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने निगम को कुत्ता पकडऩे वाली टीम की वीडियो बतौर शिकायत भेजा गया तो पता चला कि वह निगम की टीम नहीं थी। निगम ने वीडियो में फर्जी डॉग कैचिंग टीम को देखने के बाद सोशल मीडिया पर एक नोटिस जारी कर दिया। जिसमेें कहा गया है कि अगर शहर में श्यामा हेल्पिंग के अलावा कहीं कोई टीम कुत्तों को पकड़ती दिखे तो तुरंत नगर निगम को सूचित करें। इतना ही नहीं, नगर निगम ने बकायदा पल्लवपुरम थाने में गाड़ी नंबर यूपी 15 सीटी 0057 के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कुत्ता पकडऩे वाली यह टीम को अन्य एनजीओ की है या कुत्ता चोरी करने वाला कोई गिरोह है। यदि यह कोई गिरोह है तो यह गिरोह कुत्ता चोरी करके क्या करता है, ऐसे कई सवाल भी उठने लगे हैैं।

नसबंदी अभियान नाकाफी
शहर में आवारा कुत्तों के आंतक की यह स्थिति है कि पिछले एक साल में जनपद के 41167 से अधिक लोगों को खंूखार कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। इसके चलते सरकारी अस्पतालों में रैबीज के इंजेक्शन की डिमांड इस कदर बढ़ गई है कि इंजेक्शन तक की कमी आए दिन हो जाती है। वहीं आवारा कुत्तों से शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए नगर निगम स्तर पर नसबंदी का प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। साल भर में मात्र 15 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है लेकिन बावजूद इसके शहर के हर गली-मोहल्ले में कुत्तों की संख्या और आतंक बरकरार है।

नसबंदी के लिए श्यामा हेल्पिंग से अनुबंध किया गया है। लेकिन कुछ अज्ञात लोगों द्वारा कुत्तों को पकडऩे का काम किया जा रहा है। वीडियो में जो गाड़ी दिख रही है वह फर्म की नहीं है। इसके खिलाफ परतापुर थाने में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत एफआईआर कराई गई है।
हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम