मेरठ (ब्यूरो)। हर साल की तरह इस साल भी स्वच्छता सर्वेक्षण के निरीक्षण के लिए क्यूआईसी की टीम भी शहर में आने वाली है। निगम के दावे हैैं कि उनकी तैयारी पूरी है। मगर फैक्ट्स पर बात करें तो कुछ काम हो रहा है और कुछ कंप्लीट हो चुका है लेकिन बहुत कुछ अभी होना बाकी है। इतना ही नहीं, इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा 9500 अंकों की होगी। इसके लिए नए नियम भी बनाए गए हैं। जिसमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस, सिटीजन वाइस और सर्टिफिकेशन के लिए अंक मिलेंगे। पहले स्वच्छता के लिए 7500 अंक निर्धारित किए गए थे। इस बार इसे 200 अंक बढ़ाया गया है।

कागजों में सुधर रही रैकिंग
स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में मेरठ दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 15वें स्थान पर रहा। वहीं इस रैंकिंग सूची में 10 लाख से अधिक आबादी वाले प्रदेश सात शहरों में मेरठ नगर निगम को दूसरा स्थान मिला था। जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 21वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन इन सबके बाद भी शहर की सड़कों पर जगह-जगह गंदगी दिखना आम सी बात है। शहर कूड़ा निस्तारण और नालों में गंदगी की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस बार 9500 अंकों की परीक्षा में कुछ नए मानक बढ़ाकर और अधिक व्यवस्था में सुधार का प्रयास किया गया है।

इन मानकों पर मिलेंगे अंक
1. सर्विस लेवल प्राग्रेस
सैग्रिगेशन क्लेक्शन में यूजड़ वाटर, डिस्पोजल, सफाई मित्र शामिल हैं। अगर 85 प्रतिशत सब कुछ सही मिला तो सीधे 600 अंक मिल जाएंगे। इसमें नाइट स्वीपिंग, शौचालयों का देख-रेख शामिल है। सैग्रिगेशन में नाले, स्ट्राम वाटर लाइन आदि की साफ-सफाई शामिल है।

2. सिटीजन वाइस
इसमें लोगों से फीडबैक लिया जाता है। टीम वार्ड स्तर पर लोगों से बातचीत कर जानकारी लेते है। इसमें वार्ड रैंकिंग में 320 अंक मिलते हैं। जिसमें एक वार्ड से अधिक वार्डों को मॉडल बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें यह भी पता किया जाएगा। वार्डों में गीला कूड़ा व सूखा कूड़ा सही से अलग किया जा रहा है या नहीं। गीला व सूखा कूड़ा सही से निस्तारण करने पर 150 अंक मिल जाएंगे। स्वच्छता एप के फीडबैक पर नजर रहेगी। इसमें 550 अंक मिलते हैं।

3. सर्टिफिकेशन
इसमें शहर के शौचालयों की स्थिति पर निर्भर करता है। 2022 में नगर निगम को जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) वन स्टार और ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) प्लस प्लस प्रमाण-पत्र भी हासिल हुआ था।

ये भी होना जरूरी है
शहर में प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कूड़ा उत्सर्जित होता है, जिसके सापेक्ष दिनभर में 500 मीट्रिक टन कूड़ा ही उठ रहा है।

डोर टू डोर कूड़ा गाड़ी की पहुंच हर घर तक नहीं है।

खुले खत्तों पर कचरा पड़ रहा है। इससे शहर की आबोहवा दूषित हो रही है।

प्रतिदिन उत्सर्जित होने वाले ताजे कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है।

लोहियानगर में लीगेसी वेस्ट (पुराना कचरा) का प्लांट लगा है।

मंगतपुरम में कूड़े का पहाड़ है। निस्तारण के लिए अभी तक कोई प्लांट यहां नहीं लगाया गया है।

शहर में 37 फीसद हिस्से में सीवर लाइन है। बाकी हिस्से में मल-मूत्र नालों में ही बहाया जा रहा है।

प्रतिदिन सीवेज निस्तारण 300 एमएलडी है। इसके सापेक्ष शोधन क्षमता 179 एमएलडी ही है।

इन मानकों पर चल रहा काम
पहली बार स्वच्छ सर्वेक्षण में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को शामिल किया गया है।

स्वच्छ वार्ड की प्रतियोगिता कराने के लिए स्वच्छ वार्ड की सूची तैयार करना।

100 प्रतिशत गीला-सूखा कचरा अलग-अलग डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करना है।

शहर में ऐसे पार्क विकसित करने हैं, जहां पर वेस्ट टू आर्ट से सुंदरीकरण किया गया हो।

गंदे स्थलों का चयन येलो व रेड स्पाट के तौर पर करना है। उन्हें साफ-सुथरा बनाना है।

सर्विस लेन की सफाई शत-प्रतिशत रखनी है।

नगर निगम शहर में सफाई और कूड़ा कलेक्शन के बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन वास्तविकता में सारे दावे धराशाई हो जाते हैैं।
रामदेव शर्मा

90 वार्डों तक कूड़ा कलेक्शन के लिए नगर निगम के वाहन पहुंच ही नहीं पाते हैैं। जहां से कूड़ा कलेक्शन हो भी रहा है, वहां भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है।
रमन

शहर के बाजार हों या चौराहे या गली-मोहल्ले की सड़कें, हर जगह गंदगी पसरी हुई दिख जाएगी। अगर सफाई का दावा किया जा रहा है तो सफाई होती कहां है।
सोनू

स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों के अनुरुप शहर में नियमित साफ-सफाई, नालों की तल्लीझाड़ सफाई, कूड़ा कलेक्शन आदि काम कराए जा रहे हैं। उम्मीद है इस बार गत वर्ष से अधिक अंकों में सुधार होगा।
हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी