कैंटीन में फायरिंग

सोमवार को सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज में शंकर शर्मा और विनीत चपराना (मूल रूप से बुलंदशहर गुलावठी निवासी) बीटेक फाइनल ईयर के स्टूडेंट अपने अन्य साथियों के साथ कैंटीन में बैठा था। दूसरे ग्रुप का एक स्टूडेंट्स कृष्णपाल भी बैठा था। शंकर और कृष्णपाल के बीच लड़कियों को लेकर बहस और कहासुनी हुई। कृष्णपाल कैंटीन से निकलकर थोड़ी देर में अपने साथ राहुल तरना और अंकुर चौधरी व कुछ अन्य युवकों को लेकर पहुंचा। जहां राहुल ने अपनी जेब से देशी पिस्टल निकालकर फायरिंग की। जो शंकर के सिर से छूकर निकली। किसी तरह शंकर व उसके दोस्तों ने भागकर जान बचाई। पुलिस के पहुंचने से पहले ही आरोपी युवक फरार हो गए। पुलिस को मौके से दो खोखे भी बरामद हुए। राहुल तरना एक मर्डर केस में जेल जा चुका है। अंकुर चौधरी भी जेल जा चुका है।

कैंपस में पिस्टल की एंट्री कैसे?

ताज्जुब है, इंजीनियरिंग कॉलेज में स्टूडेंट्स पिस्टल लेकर आ रहे हैं और कॉलेज प्रशासन को इस बात की भनक तक नहीं है। आखिर स्टूडेंट्स वेपन लेकर कॉलेज में एंट्री कर कैसे लेते हैं? इसका जवाब खुद कॉलेज प्रशासन को खोजना होगा।

क्रिमिनल की एंट्री कैसे?

राहुल तरना और अंकुर चौधरी कॉलेज के एक्स स्टूडेंट्स हैं। जिन्हें इनके क्रिमिनल रिकॉर्ड की वजह से कॉलेज से निकाला गया था। उसके बाद भी इनका कॉलेज में आना जाना है। आखिर इन्हें कॉलेज में एंट्री दी जाती है। आखिर क्यों इन जैसे क्रिमिनल एक्स स्टूडेंट्स की फोटो कॉलेज के गेट पर चस्पा नहीं कर दी जाती है?

क्यों नहीं होती है चेकिंग

कॉलेज गेट पर सेक्योरिटी चेक पोस्ट होने के बावजूद भी स्टूडेंट्स की तलाशी नहीं ली जाती है। जिससे क्रिमिलन माइंडेड स्टूडेंट्स आसानी से कॉलेज में वेपन लेकर चले जाते हैं। वैसे कॉलेज प्रशासन का तर्क है कि बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स होने से हरेक की तलाशी लेना मुमकिन नहीं है। स्कैनिंग मशीन और मेटल डिडेक्टर लगाने का भी कोई फायदा नहीं है।

'अब से हर उस सस्पेक्टिड स्टूडेंट की गेट पर चेकिंग होगी, जिसके पास वेपन हो सकता है। वहीं अब से हॉस्टल की भी चेकिंग की जाएगी क्योंकि वहां वेपन छुपाना और भी आसान है.'

- जितेंद्र ढाका, चीफ प्रोक्टर, सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज

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