1. क्वालिटी एजुकेशन दी जाए और वैसा ही एटमॉसफियर कैंपस का हो।
- कैंपस के कुछ डिपार्टमेंट को छोडक़र क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के हालात से सभी वाकिफ हैं, और एटमॉसफियर पर कमेंट न ही किया जाए तो बेहतर है।
2. योग्य टीचर्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और उनकी उपस्थिति की जानकारी दी जाए।
- टीचर्स की योग्यता ऐसी है कि उन सभी की डिग्री पर सवालिया निशान लगाए जाते रहे हैं। आधे टीचर्स के पद तो खाली ही पड़ी हैं।
3. कोर्सेज के अनुसार क्लासेज के कुल दिनों तक टीचिंग अनिवार्य रूप से हो।
- कैंपस में हालात फिर भी ठीक हैं, लेकिन कॉलेजों में तो 180 दिन टीचिंग किसी भी तरह से नहीं होती है।
4. एग्जाम्स के समय पर संचालन और रिजल्ट अनाउंटसमेंट में स्टूडेंट्स को भी इंवाल्व किया जाए।
- न तो एग्जाम्स के संचालन में और न ही रिजल्ट डिक्लेयरेशन में स्टूडेंट्स को शामिल किया जाता है।
5. रिजल्ट घोषित होने के 180 दिनों में स्टूडेंट्स को डिग्री प्रदान कर दी जाए।
- सालों साल स्टूडेंट्स की डिग्री पड़ी रहती हैं। नियम है कि डिग्री का फॉर्म भरने के लिए 15 दिन के बाद डिग्री घर पहुंच जानी चाहिए, लेकिन यहां पर वो भी नहीं होता।
6. स्टूडेंट्स का फीडबैक जानने के लिए तंत्र विकसित किया जाए और फीडबैक के आधार पर ही चेंज किए जाएं।
- स्टूडेंट्स से किसी भी मामले में किसी भी तरह का फीडबैक लिया जाता है।
7. कोर्स स्टार्ट होने से पहले नाम वापस लेने पर अधिकतम एक हजार रुपए कटौती करके फीस वापस कर दी जाए।
- कैंपस में फीस वापस होती है। लेकिन चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन कॉलेजों में तो फीस ही नहीं ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स तक रख लिए जाते हैं।
8. खेलकूद, मनोरंजन की प्रॉपर व्यवस्था हो और मांग पर सभी को हॉस्टल सुविधा प्रदान की जाए।
- खेलकूद और मनोरंजन के नाम पर फंड है, लेकिन सुविधाएं उस स्तर की नहीं है जो यूनिवर्सिटी में होनी चाहिए।
9. सभी बॉडीज में स्टूडेंट्स का रिप्रजेंटेशन अनिवार्य रूप से हो।
- किसी भी बॉडी में स्टूडेंट्स का रिप्रजेंटेशन नहीं होता है। यहां तक कि ईसी की मीटिंग में भी कोई स्टूडेंट नहीं होता।
10. स्टूडेंट्स को इफ्ेक्ट करने वाला कोई भी डिसीजन लेने से पहले उनसे डिस्कस जरूर किया जाए। विकलांगों के लिए विशेष सुविधा दी जाए और दुभाषिए को नियुक्ति हो।
- बिना सलाह किए ही स्टूडेंट्स को इफ्ेक्ट करने वाले डिसीजन ले लिए जाते हैं। उन्हें पता भी नहीं चल पाता।
11. आंसरशीट के मूल्यांकन का अधिकार एवं मूल्यांकन के बाद एक प्रति पाने का अधिकार स्टूडेंट्स को दिया जाए।
- कैंपस और कॉलेजों में ऐसा नहीं होता है।
12. स्टूडेंट्स के ओरिजनल डॉक्यूमेंट किसी भी कीमत पर न रोके जाएं।
- करीबन हर प्राइवेट कॉलेज में स्टूडेंट्स के ओरिजनल डॉक्यूमेंट रोक लिए जाते हैं.
13. किसी सामाजिक बाधा के चलते वंचित स्टूडेंटस की शिक्षा पूरी करने के लिए स्पेशल अरेंजमेंट किए जाएं।
- कैंपस के कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो प्राइवेट कॉलेजों में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।
"स्टूडेंट्स के सभी राइट उनको दिलाए जाएंगे। जहां कहीं दिक्कत होगी उसके लिए संघर्ष किया जाएगा."
विकास कुमार मिश्रा, छात्र संघ अध्यक्ष, सीसीएसयू
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