मेरठ (ब्यूरो)। एक ओर शहर में साफ-सफाई सबसे बड़ी समस्या है। वहीं, निगम हर बार स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक हासिल करता है। ऐसे में निगम के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है। नगर निगम के दावों की सच्चाई जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सफाई एक सपना अभियान चलाया। इसके तहत शहर की सफाई व्यवस्था के आंकड़ों की जमीनी पड़ताल की गई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने साफ-सफाई के मुद्दे पर एक सर्वे कराया। शहर की आबादी करीब 35 लाख हैं। ऐसे में विभिन्न मोहल्लों की स्थिति को लेकर रैंडम सर्वे किया गया। मोहल्ले में लोगोंं से सवाल पूछने के साथ-साथ हमने सोशल मीडिया के विभिन्न आयामों फेसबुक, ट्विटर, गूगल फॉर्म, व्हाट्सऐप आदि के जरिए लोगों की राय जानने की कोशिश की। शहर के करीब 1000 लोगों ने निगम के साफ-सफाई के दावों पर अपनी राय रखी।

क्या आपके वार्ड में रोजाना डोर टू डोर कूड़ा गाड़ी आती है?
60 फीसदी - हां आती है
20 फीसदी - नहीं आती है
10 फीसदी- कभी-कभार आती है
10 फीसदी- जानकारी नहीं है

क्या आपके वार्ड में नालों सफाई नियमित होती है ?
40 फीसदी- हां होती है
30 फीसदी- नहीं होती है
20 फीसदी- कभी-कभी होती है
10 फीसदी- जानकारी नहीं है

क्या आपके वार्ड में रोजाना सड़कों की साफ-सफाई होती है?
30 फीसदी- हां होती है
50 फीसदी- नहीं होती है
10 फीसदी- कभी कभार होती है
10 फीसदी- त्योहारों पर होती है

क्या शहर के वार्डों में लगी स्ट्रीट लाइट्स ठीक से जलती हैं?
60 फीसदी- हां, ठीक से जलती है
20 फीसदी- नहीं, हमेशा खराब रहती हैं
10 फीसदी- कभी कभार ही जलती हैं
10 फीसदी- अधिकारी सुनते नहीं हैं

5 साल से स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद भी शहर की साफ-सफाई बेहतर है?
55 फीसदी- हां, कुछ बेहतर हुई है
25 फीसदी- नहीं, सब वैसा ही है
15 फीसदी- सिर्फ फाइलों में होती है सफाई
5 फीसदी- कोई जानकारी नहीं है
(नोट- शहरवासियों से फेसबुक,व्हाट्सऐप, गूगलफॉर्म, ट्विटर आदि के जरिए सवाल पूछे गए थे।)