मेरठ (ब्यूरो)। शहर की सड़कों पर बेसहारा आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बात से हर कोई वाकिफ है लेकिन इन पशुओं में कान्हा उपवन के आश्रित पशुओं का शामिल होना हैरत मेें डालता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सबसे प्रमुख गो संरक्षण योजना के नाम पर जमकर लापरवाही बरती जा रही है। जबकि इस योजना के तहत नगर निगम को निराश्रित गोवंश को आश्रय देने के साथ-साथ गोशाला में उनके चारे और पानी से लेकर इलाज की तक की सुविधाओं का इंतजाम करना था। वहीं, नगर निगम तो दावा करता है कि अधिकतर निराश्रित गोवंश को आश्रय दे दिया गया है। मगर सड़क से लेकर चौराहे और कूड़े के ढेर तक दिखाई देने वाले ये आश्रित गोवंश निगम के दावे की पोल खोलने के लिए काफी हैैं।

तीन करोड़ सालाना बजट
गौरतलब है कि साल 2019 के लास्ट में करीब 15 करोड़ के बजट से परतापुर के भूड़बराल में कान्हा उपवन नाम की गोशाला का शुभारंभ किया गया था। तब प्रति गाय के खाने के लिए 30 रुपये प्रतिदिन की राशि तय की गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 60 रुपये प्रति गाय प्रतिदिन कर दिया गया था। आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त कान्हा उपवन में 1200 गोवंश हंै। वर्तमान में प्रत्येक गाय के चारे का खर्चा 67 रुपये प्रतिदिन आ रहा है। इस हिसाब से 1200 गोवंश पर 24 लाख प्रतिमाह और दो करोड़ 88 लाख रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है। इलाज का खर्च भी इसमें जोड़ दिया जाए तो ये बजट करीब तीन करोड़ के आसपास पहुंच जाता है।

टैग से होती है पहचान
गौरतलब है कि नगर निगम के कान्हा उपवन में शहर के निराश्रित गोवंश को आश्रय, भोजना व उपचार देने के उद्देश्य से लाया जाता है। इसके लिए गोवंश को कान्हा उपवन में लाने के बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर टैगिंग कर पहचान दे दी जाती है। इस टैग पर बकायदा पशु का कोड नंबर लिखा होता है, जिसे गो वंश के कान में टैग किया जाता है। इस कोड नंबर के आधार पर गो वंश की देखभाल और चारे के लिए बजट जारी किया जाता है।

फैक्ट्स एक नजर में
परतापुर के भूड़बराल में 2019 में शुरू हुआ था कान्हा उपवन।

कान्हा उपवन को तैयार करने में खर्च किए गए थे करीब 15 करोड़ रुपये।

शुरुआत में प्रत्येक गाय खाने के लिए 30 रुपये प्रतिदिन की राशि तय की गई थी।

बाद में इस राशि को बढ़ाकर 60 रुपये प्रति गाय प्रतिदिन कर दिया गया था।

आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त कान्हा उपवन में 1200 गोवंश हंै।

कान्हा उपवन की क्षमता 650 गायों की है।

वर्तमान में प्रत्येक गाय के चारे का खर्चा 67 रुपये प्रतिदिन आ रहा है।

1200 गोवंश पर 24 लाख प्रतिमाह हो रहा है खर्च।

सालाना खर्च की बात करें तो 1200 गोवंश पर दो करोड़ 88 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैैं।

इलाज का खर्च भी इसमें जोड़ दिया जाए तो ये बजट करीब 3 करोड़ के आसपास पहुंच जाता है।

कान्हा उपवन के पशु बाहर खुले में आवारा पशुओं की तरह घूम रहे हैं। गाय के चारे के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार हो रहा है। हर गाय की टैगिंग कर उसके नाम पर बस चारे का बजट लिया जा रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए।
मनोज चौधरी

कान्हा उपवन में इतनी जगह ही नहीं है कि 1200 गोवंश को वहां रखा जा सके। इसलिए अधिकतर गोवंश को टैग कर बाहर ही छोड़ देते हैं। ताकि गिनती भी बढ़ जाए और लोड भी ना बढे और चारे और इलाज के नाम पर मोटा पैसा जेब में आ जाए।
कुलदीप शर्मा

यह जांच का बड़ा बिंदु है कि कान्हा उपवन के टैगिंग वाले आश्रित पशु उपवन से बाहर आवारा सड़कों पर क्यों घूम रहे हैं। सड़कों से लेकर चौराहों और कूड़े के ढेरों पर ये आश्रित पशु देखे जा सकते हैैं। गोशला का ऑडिट होना चाहिए।
रवि कुमार, बूंद फाउंडेशन

जब सड़कों से पकड़कर पशुओं को कान्हा उपवन लाया जाता है तो उनकी टैगिंग कर दी जाती है। लेकिन कई बार जिस पशु को पकड़ा है उसका मालिक कान्हा उपवन आकर पशु को ले जाता है। ऐसे में सड़कों पर जो पशु घूम रहे हैं, वह कान्हा उपवन के पशु नहीं हैं। हां, उनकी टैंगिंग जरूर कान्हा उपवन में की गई है। पशुओं को खुला छोडऩे पर उनके मालिकों पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ। हरपाल सिंह, पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी