मेरठ (ब्यूरो)। शहर की आबोहवा को सुधारने के लिए हर साल जुलाई माह में वन महोत्सव के तहत लाखों पौधों का रोपण किया जाता है। इस बार भी 1 जुलाई से 7 जुलाई तक जनपद में 27 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। मगर इस बार वन विभाग का लक्ष्य जनपद में औषधीय पौधों की संख्या बढ़ाने का है ताकि शहर की आबोहवा के साथ-साथ लोगों की सेहत भी दुरुस्त रहे। इसके तहत जनपद के प्रत्येक गांव में ग्राम वन और शहर में नंदन वन और औषधी वाटिका का निर्माण किया जाएगा। शहर में नंदन वन नगर निगम और एमडीएम के सहयोग से बनाए जाएंगे।

वनों से सुधरेगी सेहत
वन विभाग का लक्ष्य इस बार न केवल जनपद में हरियाली का दायरा बढ़ाना है बल्कि ऐसा पर्यावरण तैयार करना है, जिसके तहत लोगों की सेहत में भी सुधार हो सके। इसके तहत जिले में तीन प्रकार के वन बनाने के लिए तैयारियों को पूरा कर लिया है। इसमें नंदन वन, ग्राम वन और औषधी वाटिका शामिल हैं। इन वनों में जो पौधे लगेंगे उन्हें विभागों को भेजा जा रहा है। नंदन वन में फल व फूल सहित अन्य प्रकार के पौधे होंगे। इन वनों को ऐसी जगह बनाया जाएगा, जहां कोई इन्हें नुकसान न पहुंचा सके। आयुष या औषधी वन में केवल औषधीय पौधे लगेंगे और इन्हें शहरी क्षेत्रों में बनाया जाएगा। ग्राम वन में सभी प्रकार के पौधे होंगे। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा ग्राम वन बनाए जाएंगे। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि इस वन में लगे पौधे बड़े होकर एक बाग का रूप ले लेंगे, जो पर्यावरण के लिए बेहतर साबित होंगे।

नंदन वन से तनाव भागेगा
वन विभाग के अनुसार नगरीय क्षेत्र में घनी आबादी की तुलना में पेड़ों की संख्या बेहद कम है। नगरीय क्षेत्र में प्रदूषण अधिक होने से लोग बीमारियों की चपेट में आते हैं। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए शासन ने सभी नगर निगमों में नंदन वन स्थापित करने का निर्णय लिया है। वहीं सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि नंदन वन भगवान इंद्र के उपवन का नाम है। नंदन वन स्थापित करने के पीछे उद्देश्य यह है कि नगरीय क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ और तनाव से मुक्ति दिलाना है। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्र में हरियाणी को भी बढ़ावा मिलेगा।

चार श्रेणी में होगा पौधारोपण
पहली श्रेणी नौ मीटर के अंतराल पर पौधे रोपित किए जाएंगे। इस श्रेणी में हरड़, बहेड़ा, चिरौंजी, सेमल, बरगद, पीपल, इमली, आम व कुसुम के पौधे शामिल हैैं।

दूसरी श्रेणी में छह मीटर के अंतराल पर नीम, शीशम, जामुन, आंवला, बेल, कैथा, लसोडा, बास, जैकरैण्डा, अमलतास, केसिया स्यामिया, पेल्टोफोरम, देशी अशोक, बालम खीरा, कदंब, मौलश्री व गम्हार के पौधे रोपे जाएंगे।

तीसरी क्षेणी में तीन मीटर के अंतराल पर अर्जुन, ढाक, कंजी, कचनार, हरश्रृंगार, चंदन, पारस पीपल, केसिया जवानिका, केसिया नोडोसा, पुत्रजीवा, गुलाचीन एवं सहजन के पौधे रोपने की योजना है।

चौथी श्रेणी में डेढ़ मीटर पर बोगेनवीलिया, चांदनी, सर्पगंधा, करौंदा, इन्द्रजौ, कोरैय्या, पिलवा, घोट, फराश, मोरमंखी, कठनीम, झरबेरी, झाऊ, धौला, मौला, हिंगोट, फाइकस, बैंजामिना, बाटलब्रस, कैमेलिया, गुड़हल, क्रोटन, मेंहदी, पेंडूला अशोक, गंधराज, चमेली, अडू़सा, मनोकामिन, कनेर, सावनी व चंपा के पौधे रोपित होंगे।

फैक्ट्स एक नजर में
वन महोत्सव के तहत वन विभाग समेत 26 अन्य विभागों को मिली जिम्मेदारी।
वन महोत्सव मे इस बार भी 272000 पौधे लगाने की योजना है।

वन महोत्सव के तहत इस बार नंदन वन, औषधि वाटिका और ग्राम वन बनाने की योजना है। इससे प्रदूषण के साथ-साथ सेहत भी दुरूस्त होगी साथ ही जनपद में हरियाली का दायरा भी बढ़ेगा।
राजेश कुमार, डीएफओ