किसे सुनाएं पिछला दुख

पिछले नगर निगम चुनाव में मेरठ की जनता ने मधु गुर्जर को भारी मतों से जिताकर रिकॉर्ड बनाया थालोगों को उम्मीद थी कि जिस तरह वो जीतकर आयी हैं, काम भी वैसा ही होगालेकिन हुआ इसके ठीक उल्टाउनके मेयर बनने के बाद बोर्ड की मीटिंग का होना बंद हो गयापांच साल में गिनी चुनी बैठकें हुईकार्यकारिणी की मीटिंग नहीं हुईमेयर पांच साल के कार्यकाल में पांच-सात दिन ही निगम में बैठींउन्होंने मेयर की सत्ता अपने घर (कैंप कार्यालय) से चलानी शुरू कर दी

कौन करे भरपाई

पिछले कार्यकाल में भाजपा की मेयर बनने के बाद से मेरठ की सडक़ें निरंतर खराब होती गईजिन इलाकों से उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे वहां की सडक़ों की मरम्मत कराने के लिए भी लोग बार-बार नगर निगम दफ्तर दौड़े लेकिन सडक़ें ठीक ना हुईंइसी तरह बड़े नालों की सफाई बंद हो गईटैक्स के सालों से चली रही अनियमितता को भी ठीक करने की जरूरत नहीं समझी गई

कहीं पहले जैसा हो हाल

हरिकांत आहलूवालिया की आज ये हालत है कि वो पुरानी मेयर के साथ कहीं भी जनसंपर्क नहीं कर रहेउन्हें डर है कि कहीं लेने के देने ना पड़ जाएंभाजपा के नाम पर अहलूवालिया के पास उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ नहीं हैजनता सवाल उठा रही है कि अगर अहलूवालिया मेयर बन भी गए तो गुर्जर जैसे ही होंगे? जनता के गुस्सा का एक कारण और भी है कि पिछली भार भावनाओं के आधार पर वोट मांगे गए थे औैर जनता ने दिल खोलकर वोट दिया भीइस बार भी भावनाओं के आधार पर ही वोट मांगे जा रहे हैंलेकिन जनता को भरोसा नहीं है, क्योंकि पांच साल तक उसे छला गया हैकिसी विद्वान ने कहा हैजो तुम्हे एक बार धोखा दे उस पर दोबारा कभी भरोसा मत करना.’

नहीं चाहते साथ चलें

एक कार्यकर्ता ने बताया कि पूर्व मेयर की ओर से प्रचार की इच्छा जतायी गई थी लेकिन अहलूवालिया समेत पार्टी के बड़े नेता नहीं चाहते कि वो प्रचार में साथ चलेंक्योंकि  अहलूवालिया से जुड़े लोग इस बात से डरे हैं कि अगर पूर्व मेयर साथ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे और भाजपा से जो पार्षद पद के प्रत्याशी खड़े हैं उनको भी नुकसान उठाना पड़ जाएगा

सवालों का घेराव

1. सडक़ें : भाजपा की मेयर के काल में शहर की सडक़ें गलियां जर्जर रहींहिंदु बहुल इलाके में लोग टूटी सडक़ों पर चलने को मजबूर रहे

2. नाले : नियमित नाले की सफाई होनी चाहिए लेकिन ये नहीं हुआबरसात में नाले भरते रहे जिससे पांच साल तक जल भराव की समस्या से दो चार होना पड़ा

3. दफ्तर में नहीं बैठीं : नगर निगम के दफ्तर में वो कभी नहीं बैठीपांच साल में जब भी कोई सुबह दस बजे मेयर को खोजते मिला, उनके ऑफिस में ताला लगा मिलामजबूरन लोगों ने निगम में जाना ही बंद कर दिया

4. बोर्ड मीटिंग : हर दो माह में एक बार बोर्ड मीटिंग जरूर होनी चाहिए लेकिमीटिंग नहीं की गई क्योंकि पार्षद हंगामा करेंगेभाजपा के पार्षद भी बंटे रहे और पूर्व मेयर की कार्यशैली से दुखी रहे

5. टैक्स अनियमितता : पांच साल में टैक्स कलेक्शन खराब हो गयाना तो मेयर की ओर से इसे ठीक करने का प्रयास हुआ और ना निगम की आर्थिक हालत सुधारने की ही कोशिश हुई

6. कमेला : कमेला का मुद्दा भी भाजपा से छिन गयापिछली मेयर पांच साल में हापुड़ रोड से कमेला भी नहीं हटवा पायींइस साल समाजवादी पार्टी की सरकार ने शहर से कमेला हटवाया

पूर्व मेयर मधु गुर्जर चुनाव प्रचार में क्यों नहीं नहीं नजर रही हैं, इस बारे में बात नहीं करें तो ही अच्छा है, फिलहाल मधु अभी कार्यकारिणी की मीटिंग में व्यस्त है.

- सुशील गुर्जर, मधु गुर्जर के पति