- हर यूनिवर्सिटी को भेजनी होगी सेक्सुअल हैरसमेंट की एनुअल रिपोर्ट

- यूजीसी ने देशभर के यूनिवर्सिटीज को जारी किया डायरेक्शन

-1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक का भेजना होगा ब्यौरा

Meerut : देश भर में एजुकेशन इंस्टीटयूशंस में सेक्सुअल हैरसमेंट को रोकने के लिए अब यूजीसी ने पहल कर दी है। यूजीसी ने सेक्सुअल हैरसमेंट की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए यूनिवर्सिटीज से हैरसमेंट से संबंधित रिपोर्ट तलब की है।

रोकथाम के लिए कदम

देश के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में सेक्सुअल हैरसमेंट की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों की बात करें तो मेरठ में पिछले तीन महीने में आधा दर्जन से ज्यादा सेक्सुअल हैरसमेंट के केस दर्ज हुए हैं। वहीं पिछले साल में 40 से अधिक केस मेरठ में दर्ज हो चुके हैं। अगर हम यूपी की बात करते हैं तो यह संख्या एक साल में चार सौ 72 हैं। ऐसे इंसीडेंट्स की रोकथाम के लिए यूजीसी की ओर से लंबी-चौड़ी गाइडलाइन जारी की गई थी। फिर भी यह देखने में आ रहा है कि शिक्षण संस्थानों में इस तरह के केसेस को सॉल्व करने में या तो लंबा वक्त लग जाता है या फिर गवाह न मिलने के चलते केस को ही खत्म कर दिया जाता है।

लास्ट डेट आज

बहरहाल, सेक्सुअल हैरसमेंट से जुड़े मामलों में कोई रियायत न बरती जाए। इसके लिए यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज के वीसी के नाम पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सभी यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट 7 अगस्त तक भेजना सुनिश्चित करें। यूजीसी के सचिव की ओर से जारी लेटर में कहा गया है कि संस्थान 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 के बीच का ब्यौरा भेजना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही आगे भी इसी तरह मार्च तक का रिकार्ड तैयार कर हर साल की रिपोर्ट भेजी जाए। एनुअल रिपोर्ट ई मेल आईडी ह्वद्दष्.द्बष्ष्द्दह्य@द्दद्वड्डद्बद्य.ष्श्रद्व पर भेजनी होगी। यूजीसी ने इस काम को टॉप प्राइऑरिटी पर करने का निर्देश देते हुए कोई लापरवाही न बरतने को कहा है।

क्या किया सुधार

यूजीसी ने यह भी कहा है कि यूनिवर्सिटी व संबंधित कॉलेजों में लोकल स्तर पर एक स्पेशल कमेटी बनाई जाए। इस कमेटी में कॉलेज प्रिंसिपल, छात्र समस्या निवारण डीएन व कॉलेज की कुछ प्रोफेसर को शामिल करने के लिए कहा गया है। कॉलेज में होने वाली विभिन्न समस्याओं व इस तरह की घटनाओं पर निर्णय लेने व कार्रवाई कराने में भी मदद करनी होगी। यूजीसी के अनुसार इस तरह से अगर कॉलेज में ही छोटी छोटी समस्याओं का निवारण कर दिया जाएगा तो जल्द ही इस तरह की घटनाओं में कमी आ सकती है।

इन्हें करें शामिल

- नंबर ऑफ कम्पलेंट्स ऑफ सेक्सुअल हैरसमेंट रिसीव्ड इन द इयर

- नंबर ऑफ कम्पलेंट्स डिस्पोस्ड ऑफ ड्यूरिंग द इयर

- नंबर ऑफ केसेस पेंडिंग फॉर मोर दैन 90 डेज

- नंबर ऑफ वर्कशॉप्स ऑन अवेयरनेस प्रोग्राम्स एगेंस्ट सेक्सुअल हैरसमेंट कंडक्टेड ड्यूरिंग द इयर

- नेचर ऑफ एक्शन

कालका का मामला

मेरठ में अभी नौ जुलाई को परतापुर स्थित कालका डेंटल कॉलेज में प्रिंसिपल बलजीत सिंह पर पर स्टूडेंट ने अश्लील मैसेज भेजने और हैरसमेंट करने का आरोप लगाया था। मामले में तमाम कोशिशों के बाद प्रिंसिपल पर गुंडा एक्ट लगा था। मामले में स्टूडेंट में काफी आक्रोश था। इससे पहले भी मेरठ कॉलेज में कुछ माह पहले एक टीचर द्वारा अश्लील एसएमएस व वीडियो भेजने का आरोप लगाया गया था। यह तो वो मामले है जो जागरुकता के चलते सामने आए हैं। लेकिन इससे पहले भी तमाम तरह के केस ऐसे हो चुके हैं, जिनका कही जिक्र नही किया गया।

रफा-दफा हुआ मामला

इससे पहले मेरठ कॉलेज में एक प्रवक्ता द्वारा अपनी स्टूडेंट को अश्लील एसएमएस भेजने का मामला दो मंथ पहले हुआ था। प्रकरण में छात्रा के शिकायत करने पर कई दिनों तक शहर में माहौल गरमाया था। छात्रों ने आरोप लगाया था कि उक्त शिक्षक ने उसे मोबाइल पर अश्लील एसएमएस भेजी थी। हालांकि, कैम्पस के बाहर का मामला होने के कारण कॉलेज ने इस केस को टेकअप नहीं किया और बाद में पुलिस ने भी यह कहकर मामले को रफा-दफा कर दिया कि छात्रा अपने बयान से पलट गई है।

अच्छा है प्रयास

यूजीसी का उद्देश्य रहा है कि वह भारतीय संविधान के आधार पर स्टूडेंट के बीच जेंडर का व किसी तरह का भेदभाव नही होना चाहिए और न ही किसी तरह की परेशानी होनी चाहिए। मेरे हिसाब से यूजीसी ने यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, जिससे स्टूडेंट को लाभ मिलने वाला है।

-वीसी गोयल, पूर्व वीसी, सीसीएस यूनिवर्सिटी

यूजीसी का उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम में होने वाली खामियों को सुधारना है। यह एक बहुत अच्छा प्रयास है। इस तरह की घटनाएं आगे न हो इसलिए ही ऐसा किया जा रहा है।

-डॉ। किरण प्रदीप, डीन, कनोहर लाल डिग्री कॉलेज

यूजीसी ने यह बड़ा महत्वपूर्ण प्रयास किया है। इस तरह के प्रयास से स्कूल कॉलेजों में हैरेसमेंट की घटनाओं पर अंकुश लग सकता है। साथ ही कॉलेजों में डिसिप्लीन मैंटेन करने में मदद मिलेगी।

-डॉ। इंदु शर्मा, प्रिंसिपल इस्माईल डिग्री कॉलेज

यह वास्तव में स्टूडेंट के लिए एक सहायक व महत्वपूर्ण कदम है। इसके जरिए कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को काफी मदद मिलेगी। घटनाओं को कम करने में भी यह प्रयास बेहतर है।

-डॉ। सीमा जैन, प्रिंसिपल आरजी कॉलेज