मेरठ (ब्यूरो)। प्लास्टिक वेस्ट धीमे जहर की तरह शहर की आबोहवा को नुकसान पहुंचा रह है, लेकिन इससे निपटने के लिए जो उपाए या इंतजाम होने चाहिए वो जिला प्रशासन, नगर निगम और प्रदूषण विभाग के पास हैैं ही नहीं। नतीजतन, प्लास्टिक बैग या पॉलीथिन बैन के बावजूद शहर के बाजारों में खुले आम बिक रही है। हालांकि प्लास्टिक मुक्ति दिवस के मौके पर निगम प्रशासन एक्टिव होगा और जगह-जगह से पॉलीथिन जब्त की जाएंगी, जुर्माना लगाया जाएगा, दिवस बीतते-बीतते फिर हालात पहले जैसे हो जाएंगे।

बैन के बावजूद बिक्री
केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इन वस्तुओं में प्लास्टिक की प्लेट, कप, चम्मच, गिलास, कटलरी, कांटे, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बों के रैपर, पैक करने वाली फिल्म, आमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्माकोल समेत कुल 19 वस्तुएं शामिल हैं। इन वस्तुओं को बनाने, बेचने, स्टोर करने, आयात व निर्यात करने पर बकायदा भारी भरकम जुर्माने और सजा का प्रावधान है। मगर बाजारों में इनकी बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है कि जैसे कोई बैन कभी इन वस्तुओं पर लगा ही न हो। प्रदूषण विभाग की मानें तो शहर में 500 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा रोज निकलता है। जो सड़कों और कूड़े के ढेरों पर फेंक दिया जाता है।

कोई रजिस्टर्ड कंपनी नहीं
शहर में मौजूद दस हजार से अधिक दुकानों पर लाखों रुपए की पॉलिथिन बिकती हैं। सबसे बड़ी बात ये कि इतनी बड़ी मात्रा में पॉलिथिन दुकानों पर बिक रही हैं और लोग यूज कर रहे हैं, लेकिन पॉल्यूशन डिपार्टमेंट में एक भी कंपनी रजिस्टर्ड नहीं है, जो पॉलिथिन बैग बनाती हो। इसके बावजूद सैकड़ों टन पॉलिथिन शहर में यूज हो रही है। यही पॉलिथिन रोज सड़कों पर, नाली, नदी और नालों में पहुंचती है, जिससे नाले चोक हो जते हैैं।

इंसीनेटर हो चुका कबाड़
नगर निगम के पास प्लास्टिक कचरे को डिस्पोज ऑफ करने या रीसाइकिल करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। तीन साल पहले सॉलिड मैटेरियल इंसीनेटर की व्यवस्था बच्चा पार्क पर की गई थी। जहां कुछ दिन तक प्लास्टिक को जलाकर खत्म करने का काम किया गया। मगर उसके बाद से इंसीनेटर का कोई यूज नहीं किया जा रहा है।

इंसीनेटर को चालू किया जाएगा। इसके अलावा जब्त पॉलीथिन को रिसाइकल कर उपयोग करने की योजना पर जल्द काम शुरू होगा।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त

वेस्ट प्लास्टिक मैटेरियल को रि-साइकिल करके पॉलिथिन, पॉलीप्रोपीन और नाइलोन तैयार होता है। इससे पॉल्यूशन भी कम होगा।
आरके सोनी, केमिस्ट्री प्रोफेसर

मेरठ से करीब 500 टन से अधिक प्लास्टिक वेस्ट मैटेरियल निकलता है, जिसको डिस्पोज करने की व्यवस्था नगर निगम द्वारा की जानी चाहिए।
भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी