मेरठ (ब्यूरो)। कहते हैं कि सक्सेस के लिए लाइफ में रिस्क लेना बहुत जरूरी है। मन में संकल्प हो और संघर्ष करने की इच्छा हो तो सफलता जरूर मिलती है। फिर चाहे परिस्थिति कितनी ही विपरीत क्यों न हों, ऐसी ही कुछ कहानी है धु्रव शर्मा की। उन्होंने बीटेक, एमबीए और पीजीडीए कंप्लीट किया। अच्छी सैलरी में अमेरिका जाने का मौका भी मिला, लेकिन धु्रव शर्मा को खेती किसानी पसंद थी। इसलिए इसमें कुछ नया करने की सोची, अब लाल- पीली शिमला मिर्च की पैदावार कर रहे हैं। अच्छी खासी इनकम भी कर रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 18 किसानों में से धु्रव को भी सम्मानित करने का फैसला लिया है। उन्हें एक लाख रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है। आइए पढ़ते हैं धु्रव की सक्सेज स्टोरी की कहानी, उनकी ही जुबानी

मेरा मन खेती-किसानी में लगता था
मेरा घर मेरठ के शास्त्रीनगर में है। मैं पढ़ाई लिखाई में अच्छा था, इसलिए घर वाले चाहते थे कि बड़ा होकर अच्छी खासी नौकरी करूं, मेरा रिजल्ट देखकर मेरे माता-पिता हमेशा खुश होते थे, उनका सपना था कि बेटा इंजीनियर करके विदेश में नौकरी करे। हालांकि, मेरा मन खेती-किसानी में लगता था। मैं किसानों की हालत देखा करता था, इसलिए मेरे मन में कहीं न कहीं ये बात थी कि किसानों के लिए कुछ नया किया जाए। पर मुझे तो मम्मी पापा के सपनों के मुताबिक इंजीनियर बनकर विदेश जाकर नौकरी करनी थी। इसलिए मैं पढ़ाई करता रहा।

अमेरिका जाने की तैयारी थी
मैंने साल 2013 में बीटेक कंप्लीट की। इसके बाद मैंने साल 2016 में जीमैट के एग्जाम को भी पास कर लिया। अब मौका था, आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका के फ्लोरिडा जाने का। मैंने फ्लोरिडा जाने की तैयारी भी कर ली थी। मैं तैयार था, घरवाले तैयार था, क्योंकि विदेश जाने का मौका मिला था। उत्साहित तो मैं भी था, लेकिन मन के एक कोने में खेती और किसानों को लेकर कुछ करने की अलग धुन भी थी। एक दिन मैं अपने पापा के पास बैठकर खेती से जुड़ी संभावनाओं पर बात कर रहा था। एग्रीकल्चर की प्रॉब्लम को सुन रहा था, उनमें कुछ संभावनाएं भी टटोल रहा था।

पापा की बातों से बदला प्लान
पापा से बातों ही बातों में मेरा प्लान बदल गया, मैने सोचा अब एग्रीकल्चर में कुछ नया किया जाए। पर सबसे बड़ी समस्या थी कि पापा से कैसे कहा जाए, कि फ्लोरिडा नहीं जाना है बल्कि यहीं पर रहकर खेती में कुछ नया करना है। घरवालों को कन्वेंस करना मुश्किल था, बहरहाल जब मैने पापा को अपने प्लान के बारे में बताया तो पहले तो उन्होंने मना किया कि खेती किसानी में कुछ नहीं है। इंजीनियर बनकर करियर बनाओ। लेकिन फिर मेरी लगन को देखकर उन्होंने कहा कि ठीक है जो करना अच्छे से करना। बस उनकी यही सीख जीवन की प्रेरणा बन गई।

दो पाली हाउस बनाए
अब वक्त आया साल 2020 का। मैने नंगली किठौर में 45 लाख रुपए की लागत पाली हाउस बनाए। मैने रिसर्च की, इन दिनों लाल और पीली शिमला मिर्च की मार्केट में बहुत डिमांड है। इसलिए इटली की सिजेंडा प्रजाति के 12 हजार पौधों की रोपाई की। करीब चार हजार वर्ग मीटर में उच्च गुणवत्ता युक्त शिमला मिर्च की खेती शुरू कर दी।

नई टेक्नोलॉजी को खोजता हूं
इसी शिमला मिर्च को 100 से 350 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दिल्ली व एसीआर की मंडी में बेचा। इससे अच्छी खासी आमदनी होनी शुरू हो गई। यानि मेरी मेहनत सफल हो गई। यानि सालभर में 15 लाख रुपए इनकम भी हुई। अब मैं एग्रीकल्चर से जुड़ी तकनीकि को खोजता रहता हूं। उसके साथ ही खेती करने की कोशिश करता हूं। इसके साथ ही मैं अब आसपास के किसानों में लोकप्रिय भी हो गया हूं। इसलिए प्यार से लोग मुझे मिर्ची इंजीनियर भी कहते हैं। खेती में टेक्नोलॉजी के उपयोग और नवीनता के बारें में अब मैं खुद किसानों को ट्रेनिंग देता हूं। उनको किसानी और मार्केटिंग के जरूरी टिप्स भी देता हूं।