15 साल की उम्र में उसका वजन 85 किलो हो गया था। ज्यादा चलने पर उसकी सांस फूलने लगती थी। दौडऩा तो उसके बस की बात ही नहीं थी। अभिनव को डॉक्टर के पास ले गए। ईसीजी में हार्ट प्रॉब्लम डायग्नोज हुई। करीब छह महीने से उसका इलाज चल रहा है।

खतरे की घंटी

मेरठ में हार्ट पेशेंट्स की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। बड़ी उम्र में ही नहीं यूथ भी बड़े पैमाने पर इसका शिकार है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक सिटी में दिल के रोगियों की संख्या तीन लाख को पार कर गई है। रोजाना शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में औसत चालीस से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। सालाना पंद्रह हजार से अधिक मरीज अस्पतालों में पहुंच जाते हैं। जबकि दिल से जुड़ी सर्जरी सालाना तीस फीसदी की दर से बढ़ रही है।

डाटा हार्ट डिजीज

(रजिस्टर्ड हार्ट पेशेंट)

निजी हॉस्पिटल- 700 से 800 प्रति माह

सरकारी हॉस्पिटल- 500-600 प्रति माह

हार्ट प्रॉब्लम की वजह से मौतें

निजी हॉस्पिटल- 200 प्रति माह

सरकारी अस्पताल- 130 प्रति माह

हार्ट अटैक और स्ट्रोक

हार्ट अटैक- जब हार्ट में ब्लड सप्लाई ब्लॉक हो जाती है, तो इससे हार्ट डैमेज हो जाता है।

हार्ट फेल्योर- जब हार्ट से जुड़ी नसों की पम्पिंग वीक हो जाती हैं या हार्ट अटैक के बाद मसल्स डैमेज हो जाती हैं, इससे हार्ट फेल्योर होता है.वॉल्व सिकुडऩा- हार्ट में चार वॉल्व होते हैं। उनमें से अगर कोई भी वॉल्व सिकुड़ जाए तो इसकी वजह से चलने में सांस फूलने लगती है। इस कंडीशन के बढऩे पर राइट साइडेड हार्ट फेल्योर या हार्ट इंलार्ज की प्रॉब्लम आ जाती है।

कार्डियक अरेस्ट- हार्ट की मसल्स के कमजोर हो जाने पर कई बार हार्ट की पम्पिंग बहुत कम या बहुत तेज हो जाती है। इसकी वजह से हार्ट अटैक हो जाता है।

"आयुर्वेद का ट्रीटमेंट वात, कफ और पित्त पर ही आधारित होता है। हार्ट प्रॉब्लम होने की दो मुख्य वजह मानी गई हैं  मोटापा और ब्लड प्रेशर। अगर इन दोनों को कंट्रोल कर लिया जाए तो 50 परसेंट तक दिल की बीमारी से निजात मिल सकता है। बाकी 50 परसेंट पंचकर्म, हेल्दी डाइट, मॉर्निंग वॉक और आसन के द्वारा खत्म किया जा सकता है। प्राणायाम भी दिल की बीमारी से लडऩे का अच्छा तरीका है."

-अनिल शर्मा, आयुर्वेदाचार्य

इनको है हार्ट अटैक का खतरा

-हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट

-डायबिटीज पेशेंट

-स्मोकिंग करने वालों को

-हाई सैचुरेटेड फैट युक्त भोजन लेने वालों को

-हेरेडिटी प्रॉब्लम

-मोटापे के शिकार

खतरे और बचाव

-हाइट के हिसाब से वेट हमेशा कंट्रोल रहना चाहिए।

-हर रोज तेज कदमों से आधा घंटे की वॉक जरूर करनी चाहिए।

-अपने लाइफ स्टाइल में एक्सरसाइज या योगा को जरूर जगह दें।

-बहुत ज्यादा जंक फूड न लें।

-स्मोकिंग न करें।

-पाम ऑयल और नारियल तेल में भोजन पकाएं।

-शुगर के मरीज को अपनी शुगर कंट्रोल रखनी चाहिए।

-अगर हार्ट की हेरेडिटी प्रॉब्लम है तो वेट कंट्रोल रहना चाहिए, बीपी मॉनिटर करते रहना चाहिए, शुगर लेवल कंट्रोल रहना चाहिए और कॉलेस्ट्रोल भी बैलेंस रहना चाहिए।

-अल्कोहल, सिगरेट या जंक फूड का सहारा न लें। खानपान में फल और सब्जियां बढ़ाएं।

-स्ट्रेस को दूर रखने के लिए लाइट म्यूजिक सुनें, योगा करें।