शरद पूर्णिमा (कोजागरी पुर्णिमा) आज, मान्यताओं के अनुसार इसमें निहित हैं अनोखी चमत्कारिक शक्तियां

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सोमवार की रात चांद का कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। सिर्फ इतना ही नहीं इस खास रात को चांद अमृत की बूंदे भी बरसायेगा। सोमवार को शरद पूर्णिमा है जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है।

होते हैं निरोग्य

धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्योतिषविद् विमल जैन बताते हैं कि 26 अक्टूबर दिन सोमवार को रात नौ बजकर दस मिनट पर पूर्णिमा शुरू होगी जो अगले दिन शाम मंगलवार को शाम पांच बजकर 35 मिनट तक रहेगी। आज के दिन से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक आकाश दीप भी जलाये जाते हैं। इससे घर में सुख शांति आती है। ज्योतिषाचार्य पं चक्रपाणी भट्ट के मुताबिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृतरस की वर्षा होती है। चंद्रमा की किरणों से निकलने वाली किरणें रोग व शोक का नाश करती हैं। इस दिन दूध, चावल, चीनी, मेवा, व घी मिश्रित खीर को पतले कपड़े से ढक कर चांद की रोशनी में रखा जाना चाहिए। इस खीर को दूसरे दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति को रोग व शोक से मुक्ति मिलती है।