सत्ता बदलते ही जहां हर ओर ट्रांसफर का दौर शुरू हो गया है। वहीं सिटी में चल रहे अवैध बूचड़खानों को भी सीज करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। सबसे बड़ा पुलिसिया फेरबदल पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में हुआ। एसएसपी नितिन तिवारी ने सोमवार की देर रात आठ थानेदारों को क्राइम कंट्रोल में फेल व विवेचना में लापरवाही बरतने पर लाइन हाजिर कर दिया तो वहीं 15 थानों पर नए एसओ की तैनाती कर डाली। एसएसपी यहीं नहीं रुके, उन्होंने सालों से एक ही थाने में जमे 96 सिपाहियों को भी इधर से उधर कर दिया। वहीं दूसरी तरफ अलईपुरा स्थित कमलगड़हा में अवैध रूप से चल रहे बूचड़खाने को भी सीज कर दिया गया है।

रातों रात बदले थानेदार, आठ लाइन हाजिर

-15 थानों पर हुई नये SOs की तैनाती, विवेचना में लापरवाही बरतने पर आठ थानेदारों पर गिरी गाज

-96 सिपाहियों का भी किया गया तबादला, पुलिस महकमे में मची खलबली

VARANASI

पुलिस महकमे में इस बड़े फेरबदल के बाद खलबली मच गई है। एसएसपी के जनसम्पर्क कार्यालय के मुताबिक जिले में लॉ एंड ऑर्डर को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए क्राइम ब्रांच में तैनात योगेन्द्र सिंह को रोहनिया थाने का नया प्रभारी बनाया गया है। इसी तरह जैतपुरा में तैनात इंस्पेक्टर रमेश यादव को यहां से हटाकर शिवपुर थाने का प्रभार सौंपा गया है। शिवपुर थाना प्रभारी रहे विनोद मिश्र को लक्सा, बड़ागांव एसओ संजीव कुमार मिश्रा को जैतपुरा का चार्ज, सिगरा थाने में तैनात रहे दिलीप सिंह को बड़ागांव एसओ बनाया गया है। बाबतपुर के प्रभारी चौकी इंचार्ज रामप्रीत यादव को बड़ागांव एसओ, लंका इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह को चौक थाना प्रभारी का चार्ज दिया गया है। मंडुवाडीह इंस्पेक्टर देवेन्द्र सिंह को लंका, जबकि डॉयल 100 में तैनात अजय सिंह को मंड़ुवाडीह थाने का प्रभारी बनाया गया है। एसएसआई कोतवाली राम सिंह को कपसेठी एसओ बनाया गया है। जबकि कपसेठी एसओ एसआई अखिलेश मिश्र को सारनाथ एसओ, यहां का चार्ज संभालने वाले थाना प्रभारी राजेश सिंह को कोतवाली की जिम्मेदारी दी गई है। केवीएम/जीवीएम में तैनात एसआई गोपाल गुप्त को सिगरा एसओ बनाया गया है। शिवपुर एसओ अनिल सिंह को एसओ फूलपुर की जिम्मेदारी दी गई है।

इन पर हुए सख्त

एसएसपी ने जहां 15 एसओ को बदला वहीं इनमें से आठ थानों में तैनात थानेदारों को काम में लापरवाही बरतने पर लाइन हाजिर कर दिया। एसएसपी के मुताबिक अपराध व अपराधियों पर नियंत्रण न रख पाने तथा विवेचनाओं के निस्तारण में रुचि न लेने के चलते रोहनिया थाना प्रभारी सुरेन्द्र कटियार, एसओ चोलापुर रमेश यादव, लक्सा एसओ राघवेन्द्र त्रिपाठी, जंसा एसओ रामउजागिर, चौक थाना प्रभारी शिवानंद यादव, कोतवाली प्रभारी अरविंद कुमार सिंह, सिगरा थाना प्रभारी रहे केके मिश्रा और प्रभारी निरीक्षक फूलपुर बृजेश कुमार मिश्र को लाइन हाजिर किया गया है। जबकि लंबे वक्त से अलग अलग थानों में डटे 96 सिपाहियों को भी एसएसपी ने दूसरे थानों में भेजा है।

यहां रोज दर्जनों बेजुबानों को मिलती थी मौत

-योगी के CM बनने के बाद अलईपुरा में अवैध रूप से चल रहे स्लाटर हाउस को प्रशासन ने किया सीज, 2012 में हो चुका था बंद

-भारी फोर्स की मौजूदगी में हुई कार्रवाई, छोटे मोटे अवैध कत्लखानों पर भी सख्ती की तैयारी

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कई साल पहले लाइसेंस खत्म होने के बाद भी अलईपुरा कमलगढ़हा इलाके में अवैध रूप से चल रहे बूचड़खाने पर आखिरकार सत्ता बदलते ही सख्ती हो गई। यहां डेली इललीगल तरीके से काटे जा रहे दर्जनों जानवरों की हत्या के स्थल को मंगलवार को प्रशासन ने सीज कर दिया। प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में इस बूचड़खाने को बंद कराने पहुंची नगर निगम की टीम को थोड़ा विरोध झेलना पड़ा लेकिन पुलिस व पीएसी की भारी संख्या देख विरोध करने वाले ठंडे पड़ गए। जिसके बाद प्रशासन ने इसे सील कर इसे चलाने वाले लोगों की पूरी जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।

पहले फेल हो चुके थे अधिकारी

जिस बूचड़खाने को बंद कराने का काम मंगलवार को अधिकारियों ने किया उसे लेकर पहले अधिकारी एक बार मुंह की खा चुके हैं। सोर्सेज के मुताबिक इस बूचड़खाने के मालिकों का सिंडिकेट इतना बड़ा था कि जिला प्रशासन का इनको कोई डर नहीं था। यही वजह रही कि साल ख्007 में लाइसेंस को लेकर बूचड़खाने के मालिकों ने तत्कालीन एडीएम प्रोटोकॉल के साथ मारपीट भी की थी। इस मामले में उस वक्त के एक विधायक के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था।

बंद होने के बाद भी चल रहा था

इस बूचड़खाने पर मंगलवार को जब रेड पड़ी तो बाहर अंदर मिलाकर प्रशासन को 70 से ज्यादा पशु मिले। जिनको कब्जे में लेने के बाद एसीएम थर्ड अंजनी सिंह के नेतृत्व में टीम ने इसे सीज कर दिया। अधिकारियों के मुताबिक सीज किया गया बूचड़खाना कई साल पुराना था। पहले इसे संचालित करने के लिए लाइसेंस भी जारी किया गया था लेकिन ख्0क्ख् में एनजीटी के आदेश के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद भी यहां लगातार जानवरों को मारे जाने की खबर प्रशासन को मिलती रही लेकिन मालिकों की सत्ता में मजबूत पकड़ होने के कारण प्रशासन कुछ नहीं कर सका।

शहर में अब भी हैं कई

प्रशासन ने भले ही इस बड़े बूचड़खाने को बंद करा दिया है लेकिन शहर में अब भी दर्जनों अवैध बूचड़खाने संचालित हो रहे हैं। पशु चिकित्साधिकारी डॉ। असलम के मुताबिक शहर में फिलहाल किसी भी बूचड़खाने के पास लाइसेंस नहीं है। इसलिए अब इन पर भी नकेल कसी जाएगी। इनकी लिस्ट भी थानेवार तैयार कि जा रही है।