- पिछले साल संतों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर संत समाज होने लगा है एकजुट

- 22 सितम्बर को काला दिवस मनाने वाले संतों की तैयारी की हो रही है निगरानी

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पिछले साल संतों पर हुए लाठीचार्ज को 22 सितम्बर को एक साल पूरे हो जाएंगे। पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के विरोध में इस बार संतों ने 22 सितम्बर को काला दिवस के रूप में मनाने की तैयारी की है। जिसके तहत संत समाज गोदौलिया चौराहे पर जुटकर विरोध की तैयारी में है। हालांकि प्रशासन दावा कर रहा है कि संतों को गोदौलिया आने से रोकने की तैयारी कर उनको मठों और मंदिरों में ही विरोध करने के लिए मनाया जा चुका है लेकिन प्रशासनिक अमले में इस बात को लेकर ये डर कायम है कि कहीं संत समाज अचानक उग्र होकर सड़कों पर न उतर आये। इसलिए पुलिस और प्रशासन ने शहर के मठों, मंदिरों और आश्रमों में खुफिया जाल बिछा दिया है। संतों की हर एक्टिविटी की पल-पल की जानकारी खुफिया टीमें प्रशासन तक पहुंचा रही हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से पहले ही उसे बिगड़ने से रोका जा सके।

डेली जा रही है रिपोर्ट

संत समाज के काला दिवस को लेकर चल रही तैयारियों के मद्देनजर खुफिया विभाग श्री विद्या मठ, सतुआ बाबा आश्रम, बालकदास के मठ समेत छोटे-मोटे आश्रमों और उन मंदिरों में से भी सूचनाएं कलेक्ट कर रहा है जहां संत समाज और उनसे जुड़े लोगों का आना जाना है। खुफिया सोर्सेज की मानें तो इन जगहों पर होने वाली डेली एक्टिविटी की रिपोर्ट रोज के रोज डीएम और एसएसपी तक पहुंचाई जा रही है। जिसके बाद अधिकारी संतों संग बैठक कर हालात को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।

संत समाज नियम कानून को ध्यान में रखकर ही अपना विरोध दर्ज करायेगा। शांतिपूर्ण ढंग से ही विरोध होगा और प्रशासन संग इस मुद्दे पर वार्ता की गई है। अराजक तत्वों को इससे दूर रखने की भी तैयारी है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, श्री विद्या मठ

चुनावी रोटी सेंकने में जुटे हैं कई नेता

विरोध प्रदर्शन गोदौलिया या फिर मठों में हो इसे लेकर संतों की बैठक जारी है। फिलहाल रविवार को पातालपुरी मठ में हुई बैठक के बाद संतों ने विरोध गोदौलिया चौराहे की जगह पातालपुरी मठ में करने का फैसला किया है। महंत बालकदास के मुताबिक बैठक में मौजूद संतों का कहना था कि राजनीति से बचने के लिए संत समाज अपने विरोध को सड़क पर नहीं मठ में ही करेगा और पातालपुरी मठ में 11 बजे सभी संत इकठ्ठा होंगे। बालकदास का कहना था कि ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि चुनावी माहौल में कई राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए संत समाज के विरोध में कूदकर माहौल खराब कर सकते हैं। इसलिए विरोध मठ में होगा।