--DDU हॉस्पिटल में चल रहा एंटी टुबैको सेल हर सप्ताह चलाएगा अवेयरनेस कैंपेन

-रेलवे व रोडवेज बस स्टेशन पर कैंप लगाकर घुमंतू नशेड़ी बच्चों को बांटी जाएंगी दवाएं

-नशे की वजह से मरे लोगों की फोटो दिखाकर करेंगे aware

VARANASI

कैंट स्टेशन हो, रोडवेज बस स्टेशन हो या फिर सिटी की अधिकतर घनी मलिन बस्तियां। अक्सर इन स्थानों पर रहने वाले छोटे-छोटे बच्चों के हाथ नशे के सामानों से भरे होते हैं। जिन हाथों में कॉपी-कलम होनी चाहिए उन हाथों में सुलेशन व व्हाइटनर की कमान होती है। तमाम तरह के नशे के सामान थामे इन बच्चों की सुध अब शासन ने ली है। जी हां, रेलवे व रोडवेज बस अड्डे सहित गली मुहल्ले के घुमंतू बच्चों में नशे की लत को अब एंट्री टुबैको सेल के माध्यम से छुड़ाया जाएगा। इसके लिए सेल के डॉक्टर्स व स्टाफ वीकली कैंप लगाकर उन्हें नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे। यही नहीं, ऐसे बच्चों को अवेयर करने के लिए नशे की वजह से असमय मौत के मुंह में जा चुके लोगों की फोटो भी दिखाई जाएगी। जिससे कि वे नशे की लत से दूर हो सकें। इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में चल रहे एंटी टुबैको सेल की ओर से रोडवेज व रेलवे स्टेशन पर कैंप लगाकर घुमंतू बच्चों को दवाइयां भी बांटी जाएंगी।

होगी counclling भी

सेल के डॉक्टर व स्टाफ घुमंतू बच्चों की काउंसलिंग भी करेंगे। नशा से होने वाले नुकसान की जानकारियां देने के साथ ही उन्हें नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करेंगे, घर-परिवार से बिछुड़े उन बच्चों की पूरी जानकारी भी जुटाएंगे। चाइल्ड लाइन के सहयोग से उन्हें उनके घर भेजने में भी मदद की जाएगी। एंटी टुबैको सेल चयनित एरिया में सप्ताह में एक दिन जागरूकता अभियान चलाएगा। मलिन बस्तियों में बच्चों को अवेयर करने के साथ ही उनके पेरेंट्स को भी अवेयर किया जाएगा।

ऐसे करते हैं बच्चे नशा

स्टेशनरी की दुकानों पर मिलने वाला व्हाइटनर और टायर पंक्चर जोड़ने में यूज होने वाले सुलेशन को भी नशे के लिए यूज किया जा रहा है। नशेड़ी बच्चे दुकान से व्हाइटनर व सुलेशन ट्यूब खरीदने के बाद तौलिया या रूमाल में रखकर उसे सूंघते हैं। इससे उन्हें नशा का एहसास होता है। कैंट रेलवे स्टेशन व रोडवेज पर बच्चे इसका यूज कर रहे हैं। पंद्रह रुपये में मिलने वाला सुलेशन बच्चे ख्0 से ख्भ् रुपये में खरीदते हैं। जबकि व्हाइटनर भी प्रिंट रेट से बच्चे ज्यादा रुपये देकर ले रहे हैं।

मेडिकल स्टोर पर भी भीड़

रेलवे स्टेशन व घनी मलिन बस्तियों के आसपास खुले मेडिकल स्टोर्स पर भी नशे की दवाएं धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। पांच रुपये में मिलने वाला टैबलेट बच्चों को पंद्रह से बीस रुपये में सेल किया जा रहा है। एल्प्रेक्स के अलावा प्रतिबंधित दवाएं भी अधिकतर मेडिकल स्टोर्स से नशेड़ी बच्चों को अवेलेबल हो रही हैं। पेट दर्द में काम आना वाला कैप्सूल स्पास्मो प्रॉक्सिवॉन भी आसानी से अवेलेबल हो रहा है।

हर सप्ताह में एक दिन रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टेशन, मलिन बस्तियां आदि जगहों पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। घुमंतू बच्चों को नशे की लत छुड़ाने के अलावा उनकी काउंसलिंग भी की जाएगी।

डॉ। सौरभ सिंह

इंचार्ज, एंटी टुबैको सेल

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल