- शहरी इलाकों में बहुमंजिली इमारते बनी तो बाहरी इलाकों में अवैध कालोनियों का जंगल बसने लगा

-1990 से अब तक नहीं पास हुए नक्शे

- नियम-कानून ताक पर रख कराई जा गयी प्लॉटिंग, बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो रहे बाशिंदे

VARANASI

शहर की बढ़ती आबादी का फायदा उठाया रीयल स्टेट के खिलाडि़यों ने। तेजी से शहर ने विस्तार लिया और हर तरफ कंक्रीट के जंगल आबाद होने लगे। शहरी इलाकों में बहुमंजिली इमारते बनी तो बाहरी इलाकों में अवैध कालोनियों ने रूप लिया। सरकारी नियमों की अनदेखी कर कालोनाइजर्स ने एक नहीं सैकड़ों कालोनियां बसा डालीं। इन कालोनियों में मकान भी बने लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। कालोनाइजर्स ने इस गोरखधन्धें में लम्बा पैसा कमाया और उनके इस कमाई में कुछ जिम्मेदार लोग भी हिस्सेदार बने ।

क्990 से शुरू हुआ खेल

सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो क्990 से अवैध कालोनियां बसाने के गोरखधन्धा में तेजी आई। शहर से लेकर आउट साइड लोकेशन पर अनियोजित विकास हुआ। इसका नतीजा है कि अपने जीवन भर की जमा पूंजी देकर प्लाट लेने वाले लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। वीडीए सचिव खुद मानते हैं कि शहर में पांच सौ से अधिक कालोनियां अवैंध। उनका कहना है कि यहां मौजूद कालोनियों में से महज ख्0 परसेंट ही वैध की श्रेणी में आते हैं।

खूब की कमाई

भू माफिया ने शहर के बाहरी इलाकों में काश्तकारों से औने-पौने दाम में जमीन खरीद लिया और छोटे-छोटे प्लाट बनाकर लोगों को बेच दिया। ना वीडीए से नक्शा पास कराया ना ही किसी और तरह की औपचारिकता की। जमकर अपनी जेब भरी। प्रदेश सरकार अवैध कालोनियों को लेकर अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है। देखना ये है कि विभाग कितनों पर शिकंजा कस सकता है। क्योंकि विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की सह पर ही आज शहर से लेकर बाहरी इलाकों में अवैध कालोनियों का सामराज्य फैल गया।

इन इलाकों में अवैध कालोनियां

लंका,

सारनाथ,

शिवपुर,

बाबतपुर,

लालपुर,

आशापुर

लोहता

रामनगर

बाक्स

कार्रवाई तो हुई शुरू

पिछले दिनों एनएच-ख् पर मोहनसराय से अली नगर के बीच दर्जनों अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई की। एनएच के दोनों किनारे बीस मीटर के ग्रीन बेल्ट में दो दर्जन से अधिक रियल स्टेट कंपनियों के अनधिकृत रूप से बनाये गये साइट कार्यालय को भी वीडीए ने ध्वस्त करा दिया था । साथ ही क्ब् रियल स्टेट कंपनियों के खिलाफ रामनगर और मुगलसराय थाने में एफआइआर कराया गया। वीडीए के इस कार्रवाई से अवैध रूप से कालोनी और भवन निर्माण करने में हड़कम्प है।

आफिसियल वर्जन

कई सालों से इस तरह की कार्यवाही नहीं होने से कालोनियों का स्वरूप बिगड़ रहा था। अनियोजित विकास के साथ नागरिक सुविधाएं मयस्सर नहीं हो पा रही थी। इन पर अंकुश लगे इसके लिए यह अभियान चलाया जा रहा है।

पुलकित खरे, वीडीए उपाध्यक्ष

क्या है नियम

- प्रोजेक्ट का ले आउट मैप की अप्रूवल

- कालोनी में लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से एनओसी

- ग्रीन बेल्ट में तय सीमा का निर्धारण

- फ्भ् फीट की सड़क अनिवार्य

- पानी और बिजली की मुकम्मल व्यवस्था

डेटा

- भ्00 से अधिक कालोनियां अवैध

-क्990 के बाद ज्यादातर के पास नहीं हुए ले आउट

- महज ख्0 परसेंट कालोनियां ही हैं वैध

- क्ब् रियल स्टेट कम्पनियों के खिलाफ हुआ एक्शन

प्रॉब्लम एंगल

- नहीं मिल रहा बैंक से लोन

-सीवर का कोई सिस्टम नहीं

- बिजली डिपार्टमेंट के पोल नदारद

- वाटर ड्रेनेज की नहीं है व्यवस्था

- नहीं है वाटर कनेक्शन