विश्व जल दिवस

-शहर के कई इलाकों में नहीं मिल रहा जरूरत भर पानी

-तेजी से गिर रहा है ground level water

-लोगों को दो-चार बाल्टी पानी के लिए भी होना पड़ रहा है परेशान

VARANASI

एक बार फिर विश्व जल दिवस आ गया। खुद को बुद्धिजीवी वर्ग मानने वाला दुनिया में इसकी कमी और उसके संरक्षण पर बातें खूब करेगा। जल ही जीवन जैसा स्लोगन बार-बार सुनायी देगा। लेकिन ये सब कुछ होगा सिर्फ एक दिन। दिन गुजरने के बाद न तो जल की चर्चा होगी न ही इसके संरक्षण का प्रयास। इसका असर भी सामने है। अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई लेकिन पेयजल की समस्या बढ़ने लगी है। शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पाता है। दो-चार बाल्टी पानी के लिए भी लोगों को परेशान होना पड़ता है। पेयजल क्राइसिस की सबसे बड़ी वजह लीकेज है। दशकों पुरानी पेयजल पाइप लाइन की हालत खस्ता है। शहर में जगह-जगह चल रहे डेवलपमेंट वर्क की वजह से भी पाइपें डैमेज हो रही हैं।

बर्बाद हो रहा पानी

शहर में लगभग भ्8 फीसद पानी बर्बाद हो जाता है। शहर की आबादी ख्0 लाख से अधिक है। जलकल विभाग फ्फ्भ् एमएलडी (फ्फ् करोड़ भ्0 लाख लीटर) पानी डेली उत्पादित करता है। इसमें जलकल विभाग भू-जल दोहन के साथ ही नदी स्रोत से इस जल का उत्पादन करता है। उत्पादित पानी के सापेक्ष जनता तक सिर्फ क्ब्0 एमएलडी (क्ब् करोड़ लीटर) पानी पहुंच पाता है यानी रोजाना क्9ब्.फ् एमएलडी पानी बर्बाद हो रहा है। लीकेज से सर्वाधिक बर्बादी होती है। शहर की वर्तमान जनसंख्या के लिए ख्7म् एमएलडी (ख्7 करोड़ म्0 लाख लीटर) और पानी की जरूरत रोजाना है जिसकी सप्लाई जलकल विभाग नहीं कर पा रहा है। निजी संसाधनों से लोगों ने प्यास बुझाने का इंतजाम किया है। इससे अतिदोहन को बल मिल रहा है। वैसे तो पूरा शहर जल की समस्या से जूझ रहा है लेकिन गंगा किनारे बसा पुराना इलाका सबसे अधिक इस समस्या से जूझ रहा है। नगवां, अस्सी, सोनारपुरा, दशाश्वमेध, चौक, बांसफाटक, मैदागिन समेत कई इलाके पेयजल की क्राइसिस झेल रहे हैं। वहीं गंगा से दूर पुराने इलाके सोनिया, पियरी, खोजवां, नवाबगंज, सारनाथ आदि हैं।

नगरीय पेयजल व्यवस्था

-वर्ष क्89ख् में व्यवस्था को दिया गया आकार

-शहर में क्भ्00 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई गई

-वर्तमान जनसंख्या : क्9 लाख से अधिक

-वैध कनेक्शन : करीब एक लाख ख्ख् हजार

-अवैध कनेक्शन : करीब क्फ् हजार

-एक सौ सार्वजनिक नल

इन स्रोतों से मिलता है जल

-नदी स्रोत : क्फ्फ् एमएलडी पेयजल उत्पादन

-नलकूपों स्रोत : ख्0ख् एमएलडी पेयजल उत्पादन

-नलकूपों की संख्या : क्ब्ख्

-मिनी नलकूप की संख्या : 80

-ख्म् सौ हैंडपंप

-ढाई सौ कुआं

अधिकांश घरों में बोरिंग से ही पानी

अधिक दोहन की वजह से हर साल फ्भ् से भ्0 सेंटीमीटर तक भू-गर्भ जल स्तर गिर रहा है। हरहुआ आराजी लाइन के ब्लॉक डार्क जोन में आ चुके हैं। पिंडरा ब्लॉक की हालत भी अच्छी नहीं है। गहरी बोरिंग धड़ल्ले से हो रही लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। शहर की हालत भी अच्छी नहीं है। आधे से अधिक घरों में बोरिंग के जरिए ही पानी मिल रहा है।

ब्लॉकवार भू-जल स्तर

ब्लॉक वर्ष ख्0क्भ् वर्ष ख्0क्म्

आराजी लाइन क्फ्.ख्फ् क्भ्.म्फ्

बड़ागांव 9.भ्8 क्0.म्फ् चिरईगांव क्0.म्0 क्क्.ब्भ्

चोलापुर 7.78 8.8क्

हरहुआ क्क्.क्0 क्ख्.ब्क्

काशी विद्यापीठ 9.79 क्क्.09

पिंडरा 8.क्0 क्0.9भ्

सेवापुरी क्ख्.क्म् क्ख्.ख्9

लीकेज को बंद करने के लिए विभाग की ओर से विशेष टीम बनायी गयी है। सूचना मिलते ही लीकेज दूर किया जाता है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए आम जनता को भी जागरूक होना होगा।

आरएस सक्सेना, सचिव जलकल विभाग