सिटी से रोजाना निकलता है छह सौ मीट्रिक टन कूडा, नगर निगम के पास सफाई कर्मी है 27 सौ

एक सफाई कर्मी पर दो कुंतल से ज्यादा कूड़े का है बोझ

निस्तारण का नहीं है नगर निगम के पास कोई इंतजाम, हो रही है केवल पहल

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स्वच्छ काशी और सुंदर काशी की बात करने वाले लोग ही इसकी गंदगी के लिए जिम्मेदार है। वहीं सैकड़ों साल पहले प्राचीन सिवरेज सिस्टम वाले शहर में अब तक सालिड वेस्ट के मैनेजमेंट के लिए ठोस उपाय है ही नहीं। नगर निगम केवल पहल ही करता आ रहा है लेकिन निष्कर्ष अभी तक नहीं निकला है। वहीं सिटी से रोजाना छह सौ मिट्रीक टन कूड़ा निकलता है। लेकिन इसका मैनेजमेंट नहीं हो पा रहा है। निगम के पास 27 सौ सफाई कर्मचारी है जिनपर कूड़ा उठाने का ही दबाव काफी ज्यादा है। लेकिन इसमें भी ज्यादातर काम पर रहते नहीं है और जो रहते है वह ड्यूटी नहीं करते है।

एक सफाई कर्मी पर दो कुंतल से ज्यादा बोझ

नगर निगम की माने तो उनके पास 27 सौ सफाई कर्मी है इनमें ज्यादातर काम पर नहीं रहता है। शहर से रोजाना छह सौ मिट्रीक टन कूड़ा निकलता है। यानी हर सफाई कर्मी पर दो कुंतल से ज्यादा कूड़े का बोझ है। छह सौ मिट्रीक टन कूड़े के बोझ तले दबा नगर निगम निस्तारण के लिए अब तक कोई इंतजाम नहीं कर पाया है। वहीं जो इंतजाम है उसका निगम क्रियांवयन भी नहीं करा पाता है। यहीं कारण है कि सिटी की सफाई व्यवस्था ध्वस्त रहती है।

सफाई कर्मी रहते है गायब

नगर निगम के सफाई कर्मियों की ड्यूटी का वक्त सुबह छह बजे से दो बजे तक बताया जाता है। लेकिन सफाई कर्मी किसी भी एरिया में रोजाना अपने ड्यूटी टाइम पर सफाई करने नहीं जाते है। जो सफाई के लिए पहुंचते हुए वह एक या दो घंटे ही काम करते दिखते है।

पब्लिक भी उतनी ही जिम्मेदार

स्मार्ट सिटी बनने की ओर कदम बढ़ा रहा अपना शहर कैसे स्मार्ट बनेगा कहीं यह सपना ही न रह जाए। शहर में गंदगी का जो अंबार दिखता है उसके लिए नगर निगम जितना जिम्मेदार है उतनी ही जिम्मेदार पब्लिक है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के बाद भी लोग कूड़ा सड़कों पर फेंक देते है। इससे यह साफ है कि निगम की ओर से होने वाली सारी कवायद बिना जन सहभागिता के बगैर सफल नहीं होने वाली।

नहीं शुरु हो सका प्लांट

नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक सिटी से रोज छह सौ मिट्रीक टन कूड़ा निकलता है। लेकिन इसके निस्तारण के लिए करसड़ा में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का संचालन नहीं हो सका। इसके चलते कूड़े को रमना में डंप किया जा रहा है। यहां पर भी एक प्लांट लगाने के लिए आयल कंपनी से बात हुई है लेकिन इसके शुरु होने में अभी वक्त है। वहीं एक निजी संस्था को सारनाथ एरिया में एक लाख की आबादी पर वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया गया है। जो अभी पूरी तरह से काम शुरु नहीं कर पाया है।

निगम के पास है 255 कंटेनर, लेकिन दिखते नहीं

नगर में कंटेनरों का अभाव है। नगर निगम के रिकार्ड में 255 कंटेनर है लेकिन सिटी के कुछ ही जगहों पर आपको यह कंटेनर दिखेगा। वहीं छोटा डस्टबिन भी दिखाई नहीं देता जबकि डस्टबिन के अभाव में कंटेनरों की जरूरत और बढ़ जाती है। दुकानों व दूसरी जगहों से निकलने वाला कूड़ा कंटेनर में ही फेंका जाता है। चौक, गोदौलिया, मैदागिन, बुलानाला, मदनपुरा, सोनारपुरा आदि इलाके में कंटेनरों का पता ही नहीं चलता है।