94 परसेंट हुए appear

बीएड एंट्रेंस एग्जाम में टोटल 94 परसेंट कैंडिडेट्स अपीयर हुए। एग्जाम के लिए सिटी में बनाए गए 57 सेंटर्स पर 30,244 कैंडिडेट्स को अपीयर होना था। लेकिन फस्र्ट शिफ्ट में 1852 तथा सेकेंड शिफ्ट में 1845 कैंडिडेट्स एब्सेंट रहे। एग्जाम सुबह आठ से 11 बजे तक तथा दोपहर एक से चार बजे तक आयोजित हुआ। हालांकि इस दौरान कंट्रोल रूम को किसी भी सेंटर से कोई कंप्लेन नहीं मिली। इस एग्जाम के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को नोडल सेंटर बनाया गया था। इंचार्ज व रजिस्ट्रार साहब लाल मौर्य ने बताया कि एग्जाम शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया। कहीं से भी कोई कम्प्लेन नहीं मिली।

Auto वालों ने काटी चांदी

बीएड एंट्रेंस एग्जाम के लिए दूर दराज से आए कैंडिडेट्स को सेंटर्स तक पहुंचने में अपनी जेब ढीली करनी पड़ी। इस दौरान उन्हें पहुंचाने वाले ऑटो वालों ने खूब चांदी काटी। वे कैंडिडेट्स से मनमाना किराया वसूलते रहे। ज्यादातर कैंडिडेट्स ऑटो रिजर्व कर अपने सेंटर्स तक पहुंचे। ऐसे लोगों से ऑटो वालों ने खूब कमायी की।

पानी के लिए तरसे

दो दिन के सुहाने मौसम के बाद अचानक गर्मी बढऩे का कैंडिडेट्स पर असर पड़ा। एग्जाम के दौरान कुछ सेंटर्स को छोड़ बाकी जगह पीने के पानी का प्रॉपर इंतजाम नहीं था। ऐसे में कैंडिडेट्स पानी के लिए इधर उधर भटकते रहे। खासकर फस्र्ट शिफ्ट का एग्जाम देकर बाहर निकले कैंडिडेट्स पानी के लिए तरस गए। परेशान कैंडिडेट्स को औने पौने रेट्स पर पानी खरीदना पड़ा।

गार्जियंस रहे परेशान

कैंडिडेट्स के साथ आए उनके गार्जियंस को भी एग्जाम के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ा। तेज धूप से बचने के लिए वो इधर उधर छिपते रहे। बमुश्किल कहीं दिखने वाले पेड़ों और छांव का उन्हें सहारा लेना पड़ा। सबसे बुरा हाल कैंडिडेट्स के साथ आईं लेडीज का हुआ। उन्हें पूरे एग्जाम के दौरान खड़ा रहना ही पड़ा। कई स्थानों पर उनको बैठने की जगह तक नसीब नहीं हुई।  

हाई रेट्स पर बिके फूड आइटम्स

लगभग सभी सेंट्स पर कैंडिडेट्स और उनको छोडऩे पहुंचे गार्जियंस की संख्या ठीक-ठाक रही। इनकी भारी संख्या के चलते सेंटर्स के आसपास की कई शॉप्स पर फूड आइटम्स कम पड़ गए। शॉप्स ओनर्स ने इसका जमकर फायदा उठाया। कुछ दुकानदार ने कोल्ड ड्रिंक्स, चाय, समोसा सहित अन्य फूड आइटम्स मनमाने रेट्स पर सेल किया।

Trains में जमाया कब्जा

स्टेट लेवल बीएड एग्जाम देने सिटी में आए कैंडिडेट्स ने कैंट से गुजरने वाली कई ट्रेन्स में कब्जा कर लिया। स्लीपर सहित जनरल में भी तिल रखने की जगह नहीं बची। कैंडिडेट्स के कब्जा जमा लेने से पैसेंजर्स की बैठने को लेकर कैंडिडेट्स से नोकझोंक भी हुई, हालांकि आरपीएफ के जवानों ने उन्हें समझा-बुझाकर स्थिति को कंट्रोल किया।