दहेज में रुपये न लाने पर ससुराल वालों ने पूनम राय को फेंक दिया था छत से

-शरीर ने छोड़ दिया था साथ फिर भी आज बच्चों व बड़ों को फ्री में सिखा रही हैं पेंटिंग

VARANASI

जीवन के सुनहरे क्भ् साल तक लाचार रहने वाली एक बेटी जीने की चाहत छोड़ चुकी थी। लेकिन जिस बहन से कलाई पर राखी बंधवायी उसे लाचार कैसे छोड़ सकता था वह भाई। उसने ऐसा हौसला दिया कि जो पैर नहीं हिला सकती थीं वो आज कई गरीब बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ों को भी उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने का हुनर सिखा रही हैं। उनकी पेंटिंग में उनके जीवन का दर्द नहीं एक आनंद झलकता है जो वह अपने स्टूडेंट्स के मुस्कान से पाती हैं। ये हैं पूनम राय जिन्होंने पेंटिंग को जीवन जीने का जरिया बनाया और अपने इस हुनर को वह दूसरों को भी नवाज रही हैं। पूनम आर्ट एंड क्राफ्ट स्कूल चलाती हैं। जहां वह बच्चों और बड़ों को फ्री में फाइन आर्ट और पेंटिंग सिखाती हैं। उनके स्कूल में ख्0 से ज्यादा बच्चे हैं।

बीस साल पहले हुआ था हादसा

दहेज में लाखों रुपये न लाना और बेटी को जन्म देना ऐसा गुनाह बना कि शादी के दो साल बाद ससुराल वालों ने पूनम राय को छत से फेंक दिया। उस काले दिन दो फरवरी क्997 को नहीं भूली हैं। पूनम बताती हैं कि जब उनका आधा शरीर बेकार हो गया तो उनके भाई नरेश कुमार राय भगवान बने और उनका इलाज कराना शुरू किया। ठीक होने की उम्मीद तो नहीं थी। लाचार शरीर के साथ क्भ् साल बेड पर बिता दिया। जीने की इच्छा भी खत्म हो गयी थी। लेकिन भाई ने ठान लिया था कि वह अपनी बहन को उसके पैरों पर खड़ा कर के ही दम लेंगे। फिर क्या था। आज पूनम को किसी का सहारा नहीं लेना पड़ता।

बचपन का प्यार बना जीने का सहारा

पूनम ने बताया कि क्लास म् में पढ़ने के वक्त से ही उन्हें आर्ट से प्यार हुआ। जीवन के क्भ् साल अंधेरे के बाद नई सुबह हुई और उन्होंने अपने इस प्यार को जीने का सहारा बना लिया। आज वह अपना स्कूल चला रही हैं। इस स्कूल की शुरुआत एक साल पहले ख्9 मार्च ख्0क्भ् को की थीं। आज वह सिर्फ अपने ही जीवन में नहीं बल्कि दूसरों की जिंदगी में भी रंग भर रही हैं। वह कई बेटियों की आइडियल भी हैं।

शहर का बढ़ाया है मान

पूनम के इस हौसले पर सभी ने मान दिया और उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से महिला शिक्षा और सुरक्षा अभियान अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके अलावा पूनम मुंशी प्रेमचंद्र लमही महोत्सव अवॉर्ड, बीएचयू में नारी जागरण पत्रिका की ओर से मातृशक्ति अवॉर्ड, काशी गौरव अवॉर्ड समेत दर्जन अवॉर्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं।

उनकी मुस्कान है मेरी ताकत

पूनम कहती हैं कि उनकी ताकत कोई और नहीं उनके स्टूडेंट्स के चेहरे की मुस्कान है। पूनम ने बताया कि उन्हें अपने मित्र अंकिता खत्री और मनीष खत्री से प्रेरणा मिलती है। उनके इस सफर में बहुत बड़ा हाथ इनका ही है। कई एग्जिबिशन में पूनम की पेंटिंग ने उन्हें सम्मान दिलाया है। पेंटिंग की बिक्री से मिलने वाले पैसों से वह अपने स्कूल का खर्च संभालती हैं।