-बनारस के बॉक्सरों में है दम लेकिन इनकी ट्रेनिंग के लिए यहां सुविधा है काफी कम

-नेशनल लेवल पर मेडल की भरमार लगाने वाले बॉक्सरों के लिए न रिंग न इनडोर स्टेडियम

VARANASI

बॉक्सरों में दम तो है लेकिन इनकी ट्रेनिंग के लिए बनारस में फैसिलिटी बहुत कम है। बॉक्सरों को यहां प्रैक्टिस करने के लिए रिंग व न तो इनडोर स्टेडियम है और न ही इन्हें यहां पर कोई खास सुविधा मिल रही है। बॉक्सिंग के खेल में बनारस का प्रदेश में अच्छा लेवल है। पिछले दिनों गोवा में हुए छठवें रूरल नेशनल गेम्स में बनारस ने क्7 गोल्ड मेडल हासिल किया था। बनारस में बॉक्सरों की स्ट्रेंथ भी अच्छी है। इनमें हुनर भी है और उन्हें निखारने के लिए कोच भी हैं। अगर इन्हें सुविधाएं अच्छी मिलें तो इनके लिए ओलंपिक तक पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं होगी।

बिना मैदान कैसे होगी प्रैक्टिस

बनारस के मुक्केबाजों के लिए सिगरा स्टेडियम में कोई स्पेसिफिक जगह नहीं है। एक कुश्ती के लिए इनडोर हाउस बना हुआ है। जहां पर पहलवान अपनी जोर आजमाइश करते हैं। लेकिन बॉक्सरों के लिए एक गोदाम नुमा कमरा दे दिया गया है जिसमें सारे सामान रखे हुए हैं। बारिश होने पर इस कमरे में छत से पानी टपकता है। ऐसे में बॉक्सरों के लिए बैठने की जगह भी नहीं रह जाती है।

आसान नहीं है मुक्केबाजी

मुक्केबाजी स्टेमिना, पावर और दिमाग का खेल है। इसके लिए एक्सपर्ट की कमी भी बनारस को खलती है। यहां पर करीब म्0 बच्चों को सिखाने के लिए चौबेपुर के रहने वाले दिलीप कुमार सिंह कोच हैं। इन्हें भी कई बार सरकारी ड्यूटी निभानी पड़ती है जिससे प्रैक्टिस प्रभावित होती है। बॉक्सरों के लिए यहां रहकर ट्रेनिंग लेने के लिए हॉस्टल भी नहीं है।

मेहनत में नहीं है कमी

बनारस में जो बॉक्सर ट्रेनिंग ले रहे हैं वह मेहनत करने में कहीं से भी कम नहीं हैं। लेकिन कुछ ऐसी जरूरत होती है जो आगे बढ़ने के लिए साथ निभाती है। इनडोर स्टेडियम न होना इनके लिए सबसे बड़ी कमी है।

कुछ ऐसा है प्रदर्शन

- ज्योति पांडेय बेस्ट बॉक्सर का खिताब पा चुकी हैं। स्टेट में छह गोल्ड।

- यहां के आनंद गिरी को बेस्ट प्रॉमिसिंग बॉक्सर का मिला है खिताब।

- अभिषेक यादव स्टेट जूनियर कैटेगरी में दो गोल्ड पा चुका है।

- नितेश सोनकर ने स्टेट में एक गोल्ड जीता है।

- साहिल यादव ने नेशनल लेवल पर एक गोल्ड जीता है।

- अब्दुल कलीम स्टेट में चार गोल्ड जीत चुके हैं।

- बनारस के जयप्रकाश यादव ने भी नेशनल और स्टेट में कई मेडल जीते हैं।

- अभिषेक यादव ने ग्रामीण नेशनल गेम में गोल्ड जीता।

बॉक्सिंग के खेल में बनारस प्रदेश में अच्छे लेवल पर है। यहां के बॉक्सरों ने नेशनल लेवल पर बहुत बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अगर इन बॉक्सरों पर सरकार थोड़ा भी ध्यान दे तो ओलंपिक गेम्स में मेडल लाना कठिन नहीं होगा।

दिलीप कुमार सिंह, कोच

सबसे ज्यादा दिक्कत ये है कि हमारे पास इनडोर स्टेंिडयम नहीं है। कई बार प्रैक्टिस करने में काफी परेशानी होती है।

ज्योति पांडेय, खिलाड़ी

हमें अगर अच्छी फैसिलिटी मिल जाए तो हम नेशनल ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर भी बहुत अच्छा कर सकते हैं।

नितेश सोनकर, खिलाड़ी

अगर बॉक्सिंग गेम को नेशनल लेवल पर आयोजित किया जाए तो हमें अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा मौका मिलेगा।

आशुतोष सिंह, खिलाड़ी

स्टेट लेवल पर हम बहुत अच्छा खेल रहे हैं। अगर हॉस्टल और इनडोर स्टेडियम की सुविधा मिलने लगे तो बात बन जाए।

अभिषेक यादव, खिलाड़ी

बॉक्सिंग की हालत बनारस में काफी खराब है। कितना भी अच्छा खेलें लेकिन हमारी ओर कोई ध्यान नहीं देता है।

साहिल यादव, खिलाड़ी

हम अच्छा करना चाहते हैं लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण कई बार हमारी प्रैक्टिस कमजोर हो जाती है।

अब्दुल कलीम, खिलाड़ी