-कोरोना के चलते नाटी इमली का भरत मिलाप हुआ स्थगित

-विश्वप्रसिद्ध भरत मिलाप देखने के लिए जुटती है लाखों की भीड़

कोरोना संक्रमण पिछले एक साल से पूरी दुनिया को अपने इशारे पर नचा रहा है। कोरोना के आतंक से सब कुछ जैसे तबाह होता जा रहा है। बनारस में तो कोरोना वषरें पुरानी परंपराओं को ही खत्म करता जा रहा हैं। सैकड़ों वर्षो से होती आ रही विश्व प्रसिद्ध राम लीला पर तो पहले ही कोराना का ग्रहण लगा हुआ है और अब नाटी इमली के भरत मिलाप पर भी कोरोना का काला साया पड़ चुका है। काशी में 475 साल में पहली बार ऐसा होगा जब नाटी इमली में प्रभु श्रीराम का उनके अनुज भरत से मिलाप नहीं होगा। वैश्विक महामारी कोरोना के कहर को देखते हुए आयोजकों ने यह फैसला लिया है। नाटी इमली में भरत मिलाप न होने से इसे देखने वाले लाखों भक्तों में भी मायूसी है। दुनिया भर से लोग इस आयोजन को देखने के लिए नाटी इमली के मैदान जुटते रहे हैं।

मेघा भगत ने शुरू की थी लीला

लक्खा मेले में शुमार इस आयोजन की शुरुआत 475 साल पहले मेघा भगत ने की थी। मेघा भगत प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्तों में से एक थे। ऐसी मान्यता है कि सपने में मेघा भगत को मर्यादा पुरुषोत्तम के दर्शन हुए थे। सपने में प्रभु के दर्शन के बाद ही रामलीला और भरत मिलाप का आयोजन किया जाने लगा। आज भी ऐसी मान्यता है कि कुछ पल के लिए प्रभु श्रीराम के दर्शन होते हैं। यही वजह है कि महज कुछ मिनट के भरत मिलाप को देखने के लिए कई लाखों लोगों की भीड़ यहां हर साल जुटती रही है।

काशी राज परिवार भी है साक्षी

काशी में आयोजित होने वाले इस भरत-मिलाप का एक आकर्षण काशी का राज परिवार भी है, जो इस मशहूर भरत मिलाप का साक्षी बनाता है। पिछले 223 बरस से काशी नरेश नाटी इमली के मैदान में शाही अंदाज में इस लीला में शामिल होते रहे हैं। पूर्व काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि 1796 में वह पहली बार इस लीला में शामिल हुए थे। तब से उनकी पांच पीढि़यां इस परंपरा का निर्वहन करती चली आ रही हैं।

यादव बंधु उठाते हैं पालकी

नाटी इमली के भरत मिलाप में लंबे अरसे से यादव बंधु पूरे पारंपरिक वेशभूषा में इस लीला में शामिल हो रहे हैं। प्रभु की पालकी को लीला स्थल तक लाने और ले जाने की परंपरा यादव बंधु निभाते आ रहे हैं। इस बार भरत-मिलाप का आयोजन न होने से यादव बंधु बेहद उदास हैं। दरअसल, लंबे अरसे से यादव बंधु पारंपरिक वेशभूषा में इस लीला में शामिल होते रहे हैं। लेकिन जब इसबार सांकेतिक रूप से सारा आयोजन किया जा रहा है तो यादव बंधुओं का रोल भी सांकेतिक ही रह जाएगा।

नाटी इमली के ऐतिहासिक मैदान में 475 वर्षो से हो रहे भरत मिलाप का आयोजन इस बार नहीं होगा। सांकेतिक तौर पर अयोध्या भवन में रामलीला से लेकर भरत मिलाप तक की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। 10 अक्टूबर को मुकुट पूजा होगी।

मुकुंद उपाध्याय, प्रबंधक, लीला समिति