-स्वाइप मशीन के लिए बैंकों के पास आवेदन आए 5 हजार 255, मिले सिर्फ 1005

-नकदी विहीन व्यवस्था को नहीं मिल रही गति, व्यापारी वर्ग परेशान

VARANASI

नोटबंदी के बाद हर तरफ कैशलेश ट्रांजेक्शन पर अधिक बल दिया जा रहा है। यहां तक की स्कूल्स, संस्थाओं व एनजीओज को साथ लेकर बैंकों की ओर से लगातार कैशलेस अवेयरनेस प्रोग्राम भी कराया जा रहा है लेकिन फिर भी कैशलेस की रफ्तार कुंद है। व्यापारियों को समझ में नहीं आ रहा आखिर कैसे कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा? जी हां, कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए हर ओर बात हो रही है। कुछ दुकानों में पॉश मशीन, प्वाइंट ऑफ सेल/स्वाइप मशीन व अन्य ई-वॉलेट का सहारा लिया जा रहा है। शहर में स्वाइप मशीन की इतनी मांग बढ़ गई है कि बैंक समय पर पॉश मशीन अवेलेबल नहीं करा पा रहे हैं। आठ नवंबर के बाद विभिन्न बैंकों में पॉश मशीन के लिए भ् हजार ख्भ्भ् आवेदन आ चुके हैं। मगर अब तक करीब क्00भ् पॉश मशीनें ही लग पाई हैं।

90 दिनों में आए भ्,ख्भ्भ् आवेदन

नई करेंसी आने के बाद भी लोग नकदी संकट से जूझ रहे हैं। वजह ज्यादातर एटीएम में दो हजार के ही नोट निकल रहे हैं। व्यापारी नकदीविहीन व्यवस्था में शामिल होना चाहते हैं मगर स्वाइप मशीन की कमी से वे मायूस हैं। 90 दिनों में भ्,ख्भ्भ् आवेदनकर्ताओं में से महज क्00भ् को ही स्वाइप मशीनें दी जा सकी हैं। नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर खुदरा कारोबारियों पर पड़ा है। बिक्री का ग्राफ काफी नीचे आ गया। छोटे नोटों की किल्लत से दुकानदार परेशान हो रहे हैं।

इसलिए नहीं मिल रही गति

कैशलेस को बढ़ावा देने की बात करने वाले बैंकों में उतनी मशीनें ही अवेलेबल नहीं हो पा रही हैं। इसके लेकर खुद बैंक अधिकारी भी सिस्टम का रोना रो रहे हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि आवेदन के सापेक्ष उनके हेडक्वॉटर्स से मशीनें कम आ रही हैं। इससे कैशलेस व्यवस्था को गति नहीं मिल पा रही है।

स्वाइप मशीन का यह हाल

-यूबीआई : ख्0क्0 आए आवेदन, लगीं ख्80

-आईडीबीआई : म्0 आवेदन मिले, ब्भ् लग सकीं स्वाइप मशीनें

बैंक आफ बड़ौदा : भ्7भ् अब तक प्राप्त हुए आवेदन

-ख्7भ् : लग सकीं स्वाइप मशीनें

-एसबीआई : ख्क्म्0 आए आवेदन, लगी ख्भ्भ् मशीनें

-बैंक आफ इंडिया : ब्भ्0 प्राप्त हुए आवेदन, लगी ख्भ्0

सभी बैंकों के पास स्वाइप मशीन के लिए आवेदन आ रहे हैं, उन्हें जल्द ही मशीनें अवेलेबल कराने का प्रयास भी हो रहा है।

रंजीत सिंह, एलडीएम, यूनियन बैंक