- बनारस के सेंट्रल जेल में जल्द ही होगा आजाद की मेटल प्रतिमा का अनावरण

- चंदे से लाखों रुपये की कीमत की विशेष प्रतिमा मंगाई गई है राजस्थान से

- बनारस के जेल में ही किशोर क्रांतिकारी के रूप में आजाद को पड़े थे कोड़े

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चंद्रशेखर आजाद जिनका नाम सुनते ही दिल, दिमाग और रूह में देशभक्ति की भावना जागृत हो जाती है। ख्फ् जुलाई यानि रविवार को देश उनकी क्क्क्वीं जयंती मनाएगा। लेकिन इस महान देशभक्त को सच्ची श्रद्धांजलि देने की तैयारी वाराणसी सेंट्रल जेल में चल रही है। आप इस सोच में पड़ गए होंगे कि वाराणसी सेंट्रल जेल से इस महान स्वतंत्रता सेनानी से क्या लेना? बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं कि चंद्रशेखर साथ जुड़ा 'आजाद' नाम उनको बनारस में शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल से ही मिला था। यही वजह है कि उनको याद करते हुए इस सेंट्रल जेल के ठीक उसी बैरक के सामने आजाद की सात फीट ऊंची मेटल की प्रतिमा लगाने जा रही है, जिस बैरक में रहते हुए कोड़े खाने के बाद जेल से आजाद हुए चंद्रशेखर तिवारी को आजाद उपनाम मिला।

राजथान से आई है स्पेशल प्रतिमा

सेंट्रल जेल में अंदर जाते ही दाहिने तरफ आज भी वो बैरक है, जहां उनको महज क्भ् साल की उम्र में एक दरोगा को पत्थर मारने के बाद बंदी बनाकर रखा गया। जानकार बताते हैं कि जब उन्हें यहां से कोर्ट ले लाया गया तो मजिस्ट्रेट ने नाम पूछा। चंद्रशेखर ने अपना नाम आजाद, मां का नाम धरती और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। इससे नाराज होकर मजिस्ट्रेट ने उन्हें जेल में कोड़े मारने के बाद छोड़ देने की सजा सुनाई। जेल से सजा पाकर निकले चंद्रशेखर को यही से आजाद नाम मिला। यही वजह है कि जेल प्रशासन इस ऐतिहासिक जगह को यादगार बनाने के लिए चंद्रशेखर आजाद की मेटल की भव्य प्रतिमा स्थापित करने जा रहा है। प्रतिमा लगाने का काम लगभग पूरा भी हो चुका हैं। जेल सूत्रों की माने तो ये प्रतिभा लाखों रुपये लागत है जिसे राजस्थान से मंगवाया गया है।

सब ने दिया योगदान

जेल में लग रही चंद्रशेखर आजाद की इस प्रतिमा को किसी सरकारी पैसे से नही बल्कि लोगों के कॉन्ट्रिब्यूशन से लगवाया जा रहा है। कैदियों से ले कर जेल स्टाफ बाहरी लोगों ने भी इसमें योगदान दिया है। लाल पत्थर से स्मारक के तौर पर स्थापित इस इस प्रतिमा का अनावरण जेल प्रशासन पीएम नरेन्द्र मोदी या सीएम योगी आदित्यनाथ से कराने की सोच रहा है। हालांकि इसमें कुछ वक्त लगेगा। तब तक प्रतिमा स्थापना और इसके लिए चबूतरा निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

जेल में दर्ज है आजाद का इतिहास

(पास्ट हिस्ट्री)

शिवपुर सेंट्रल जेल चंद्रशेखर को कोड़े पड़े और उन्होंने अपना नाम आजाद बताया। वर्तमान में कोड़े मारने वाले स्थान पर एक शिलापट्ट पर उनकी गाथा के साथ उनकी तस्वीर है। जेल के बाहर भी उनकी प्रतिमा पहले से स्थापित है। कोड़े की सजा के बाद काशीवासियों ने ज्ञानवापी क्षेत्र में आयोजित एक सभा में तत्कालीन किशोर क्रांतिकारी चंद्रशेखर तिवारी को चंद्रशेखर आजाद नाम से पुकारा। उनकी स्मृति में लहुराबीर इलाके में आजाद पार्क भी है। चंद्रशेखर किशोरावस्था में ही संस्कृत की पढ़ाई करने बनारस आ गए थे। बनारस में ही मन्मथनाथ गुप्ता और प्रणवेश चटर्जी के संपर्क के जरिए चंद्रशेखर सबसे पहले क्त्रांतिकारी दल के सदस्य बने जिसे उस वक्त हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ के नाम से पुकारा जाता था।