-होली के दिन गंगा में बहने वाले सैकड़ों लीटर रंग पर नहीं गया किसी का ध्यान

-केमिकल युक्त रंग व डिटर्जेट से गंगा के पानी को पहुंचाएंगे नुकसान

VARANASI

होली आ ही गयी है, हर्षोल्लास के साथ पूरा शहर रंगों में सराबोर होगा। शहरवासी जमकर एक-दूसरे पर रंग-गुलाल उड़ायेंगे। होली खेलने के बाद बदन पर चढ़े रंग को उतारने के लिए गंगा स्नान भी करेंगे। हजारों की भीड़ एक साथ गंगा स्नान करेगी। लेकिन त्योहार मनाने वाले गंगा के पानी में जहर भी घोलेंगे। बदन और कपड़ों पर मौजूद सैकड़ों लीटर रंग गंगा में बहायेंगे। रंग उतारने के लिए साबुन का भी खूब इस्तेमाल करेंगे। रंगों और साबुन में मौजूद केमिकल का प्रभाव कई दिनों तक पानी में रहेगा। केमिकलयुक्त रंग की वजह से गंगा में मूर्ति विसर्जन पर लगाम लग गया लेकिन होली के दिन गंगा में बहने वाले सैकड़ों लीटर रंग पर किसी का ध्यान नहीं गया है।

नहीं रखते पवित्रता का ध्यान

आस्था के मुताबिक होली पर्व मनाने वाले गंगा की पवित्रता के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं होते हैं। रंग खेलने के बाद गंगा स्नान के लिए हजारों की भीड़ पहुंचती है। सभी अपने बदन का पूरा रंग नदी के पानी में उतारते हैं। इसके लिए खूब साबुन और सैम्पू का प्रयोग करते हैं। साथ ही रंग से सने कपड़े को गंगा में फेंक देते हैं या डिटर्जेट के जरिए उसकी सफाई करते हैं। जिस गंगा में साबुन लगाकर स्नान करना मना है उसी गंगा में एक वक्त में हजारों लोग साबुन-डिटर्जेट का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही सैकड़ों लीटर रंग पानी में जाता है।

कई दिनों तक रहता है प्रभाव

रंगों और साबुन के साथ गंगा में घुलने वाले केमिकल का प्रभाव कई दिनों तक रहता है। ये केमिकल गंगा के पानी में मौजूद अच्छे तत्वों को नष्ट करते हैं। गंगा में ऐसे सूक्ष्म जीवों की मौजूदगी रहती है जो उसमें घुलने वाली गंदगी को साफ कर देते हैं। यह काम काई और पौधे भी करते हैं। केमिकल की वजह से ये नष्ट हो जाते हैं। साथ ही केमिकल का प्रभाव पानी में मौजूद रहने से इसमें स्नान करने वालों के लिए हानिकारक होता है।

गंगा को हर उस तत्व से नुकसान है जो अननेचुरल है। उसकी संरचना से छेड़छाड़ करके नुकसान तो पहुंचाया ही जा रहा है। उसमें सीवर का गंदा पानी और केमिकल बहाकर पानी को प्रदूषित किया जा रहा है। गंगा को बचाना है इस पर रोक लगानी ही पड़ेगी।

प्रो। बीडी त्रिपाठी, नदी विशेषज्ञ

केमिकल का प्रभाव गंगा के पानी पर बहुत बुरा पड़ता है। काफी प्रयास के बाद भी तमाम फैक्ट्रियों का केमिकल उसमें पहुंच रहा है जो नुकसान कर रहा है। अन्य माध्यम से आने वाला केमिकल इसमें इजाफा ही करता है।

प्रो। यूके चौधरी, पर्यावरणविद्