-संस्कृत युनिवर्सिटी की प्रवेश समिति ने बढ़ी हुई 50 सीटों पर एडमिशन की अनुमति नहीं दी

-संशाधन की कमी का दिया हवाला

VARANASI:

संपूर्णानंद संस्कृत युनिवर्सिटी के एमएड की बढ़ी सीटों पर एडमिशन में पेंच फस गया है। संशाधन की कमी का हवाला देते हुए प्रवेश समिति ने फिलहाल बढ़ी हुई भ्0 सीटों पर एडमिशन की अनुमति नहीं दी। समिति के सदस्यों ने सुझाव दिया कि पहले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से इस बारे में चर्चा कर ली जाय। इसके बाद ही बढ़ी हुई सीटों पर एडमिशन लेना सही होगा।

पूरी तरह समझकर लेंगे निर्णय

युनिवर्सिटी के एमएड में कुल ख्भ् सीटे फिक्स हैं। दो वर्षीय एमएड के लिए एनसीटीई ने युनिवर्सिटी को एक यूनिट की मान्यता दी है। नए नियम के तहत एक यूनिट में भ्0 सीट निर्धारित की गई है। साथ ही एनसीटीई टीचरों का भी मानक तय कर दिया है। नए मानक के तहत बीएड की एक यूनिट के लिए आठ व एमएड की एक यूनिट के लिए दस टीचरों के पद जरूरी हैं। वहीं वर्तमान में युनिवर्सिटी के शिक्षा शास्त्र विभाग में टीचरों के नौ पद स्वीकृत है। जबकि नए मानक के अनुसार बीएड की दो यूनिट के लिए क्म् व एमएड की एक यूनिट के लिए दस टीचरों की जरूरत है। टीचर्स का मानक पूरा न होने के कारण प्रवेश समिति ने एमएड में भ्0 सीटों पर दाखिले की अनुमति नहीं दी। कुलपति प्रो। यदुनाथ दुबे की अध्यक्षता में शनिवार को हुई मीटिंग में प्रवेश समिति ने फैसला लिया कि मानक के बारे में एनसीटीई से पूरी तरह समझ लिया जाय ताकि बाद में मान्यता को लेकर सवाल न खड़ा हो सके मीटिंग में छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो। हर प्रसाद दीक्षित सहित अन्य सदस्य शामिल थे।