-प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद मंडरा रहा है जलीय जीवों के जीवन पर खतरा

- नहीं हुई कई तालाब-कुण्ड की सफाई, पड़ा रहा मलबा

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

हाईकोर्ट के आदेश पर गंगा में प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक के बाद प्रशासन ने सिटी के कई कुण्ड और तालाब में प्रतिमाओं का विसर्जन करा दिया। इससे जलीय जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया। शंकुलधारा पोखरे में विसर्जन के बाद सैकड़ों मछलियां मर गयीं। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि इनकी मौत की वजह क्या रही। तालाब में प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद बढ़े प्रदूषण या फिर एनडीआरएफ की बोट में लगी पंखियों ने इनकी जान जान ली। जानकारों का कहना है कि समय रहते प्रतिमा विसर्जन का स्थाई इंतजाम नहीं किया गया तो पौराणिक कुण्डों और तालाबों में जलीय जीव नहीं बचेंगे।

बाते रहे अलग-अलग वजह

शंकुलधारा पोखरे में सैकड़ों मछलियों की मौत की वजह क्या है? इस बारे में पशु चिकित्साधिकारी मोहम्मद असलम अंसारी का कहना है कि मछलियां प्रदूषण से नहीं बल्कि कुण्ड में उतरी एनडीआरएफ की बोट में लगी पंखियों की चोट से मरी हैं। वहीं पर्यावरणविद् और जल विशेषज्ञ प्रो। बीडी त्रिपाठी का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने विसर्जन का कोई और विकल्प नहीं तलाशा तो बड़ा नुकसान होगा। हर साल कुण्डों और तालाबों में ही प्रतिमाओं का विसर्जन होता रहा तो आने वाले कुछ सालों में इसमें रहने वाले जलीय जीव खत्म हो जाएंगे। प्रो। त्रिपाठी के मुताबिक मछलियों के मौत की वजह प्रदूषण के साथ ही कुण्ड-तालाब में ऑक्सीजन की कमी है। ऊपर से इन्हें मूर्तियों से चोट दी जा रही है। प्रतिमाओं को कुण्ड में डालते समय मछलियों को चोट लगी। यही चोटें उनके मौत की वजह बनीं। प्रो। त्रिपाठी के मुताबिक एक लीटर पानी में पांच मिलीग्राम से नीचे आक्सीजन की मात्रा होने पर जलीय जीवों पर संकट आता है। ऐसी कंडीशन को हम अन एरोबिट कंडीशन यानि सांस न ले पाने की स्थिति कहते हैं।