-सोनौली बॉर्डर से पकड़े गए संदिग्ध पाकिस्तानी ने उगले कई और राज

-बनारस में BHU समेत कई और जगहों पर घुसपैठ बनाने की थी तैयारी

-फेसबुक के जरिए जुटाई है कई प्रोफेसर्स व बुद्धिजीवियों के नाम व नंबर्स

VARANASI

पिछले दिनों नेपाल के रास्ते भारत में घुसने के चक्कर में सोनौली बॉर्डर पर पकड़े गए संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक डॉ। जावेद के निशाने पर बनारस था। ये राज तो उससे पूछताछ में सामने आ चुका है लेकिन बनारस में उसके टारगेट पर कौन था और वो यहां किस मकसद से आना चाहता था इसका भी खुलासा खुफिया एजेंसियों की ओर से की जा रही पूछताछ में हुआ है। सोर्सेज के मुताबिक जावेद ने ये कबूला है कि उसे बनारस में रहकर यहां की हर छोटी बड़ी एक्टिविटी की जानकारी जुटानी थी। ये जानकारी किस लिए जुटानी थी अब इसकी पड़ताल की जा रही है लेकिन अब तक की पूछताछ में जो बातें पता चली हैं वो काफी चौंकाने वाली हैं क्योंकि जावेद के निशाने पर बनारस का सबसे बड़ा स्पॉट बीएचयू था।

मेल का जमकर किया है यूज

जावेद ने पहले ही बीएचयू के एक प्रोफेसर से तुर्की में मिलने की बात कही थी। जिसके बाद खुफिया एजेंसियों ने प्रो। राजेश सिंह से इस बाबत पूछताछ की। हालांकि प्रोफेसर ने कई साल पहले तुर्की जाने की बात तो एक्सेप्ट की लेकिन जावेद को पहचानने से इंकार कर दिया। अब चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि जावेद के पास से बरामद डॉक्यूमेंट में बीएचयू के कई और लोगों के नाम और नंबर्स मिले हैं। ये नंबर्स किसलिए जुटाये और कैसे जुटाये गए? इस बारे में सोर्सेज ने बताया कि फेसबुक और मेल का यूज जावेद ने जमकर किया है। इसके जरिए इसने बीएचयू के दर्जनों प्रोफेसर्स, आईटी स्टूडेंट्स समेत शहर के कई पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की जानकारी जुटा रखी है।

PM के प्रोग्राम स्थल थे निशाने पर!

खुफिया एजेंसियों को पूछताछ में एक और शॉकिंग इंफॉर्मेशन मिली है। सोर्सेज की मानें तो जावेद पिछले दिनों शहर में पीएम मोदी की क्8 सितम्बर की हुई सभा से पहले भी बनारस पहुंचना चाहता था लेकिन संभव नहीं हो सका। ऐसे में उसने सिटी के उन जगहों से जानकारी जुटाने की प्लैनिंग की थी जहां बनारस दौरे के दौरान पीएम को जाना था। जांच एजेंसियां जावेद को रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ कर रही हैं और आईएसआई के एजेंट के शक में उसके पासपोर्ट से लेकर बाकी चीजों की जांच की जा रही है। बनारस में भी उसके हेल्पर्स को तलाशा जा रहा है। वहीं इंटेलिजेंस सोर्सेज की मानें तो डॉ। जावेद कलाम के नाम का इस्तेमाल करने वाले इस संदिग्ध पाकिस्तानी ने इस नाम को तुर्की में ख्0क्फ् में हुई कांफ्रेंस के बुकलेट से चुराया था। जिसके बलबूते पर डॉ। जावेद ने फेक आईडी तैयार कर बनारस में सम्पर्क की तैयारी की थी।