- जिले में तेजी से गिर रहा है भू जल स्तर, गंदे नालों में बह जाता है बारिश का पानी

- जल संचयन के नाम पर कोई ठोस पहल नहीं

ष्ट॥न्हृष्ठन्रुढ्ढ: धान के कटोरे चंदौली में पानी की बर्बादी को रोकने व जल संचयन की दिशा में आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। चाहे सरकारी विभाग हों या व्यक्ति व संस्था सभी जल की महत्ता को जानकर भी अनजान बने हुए हैं। इसी का परिणाम है कि मैदानी इलाकों के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में पानी का जल स्तर दिन प्रतिदन गिरता ही जा रहा है। इस साल स्थिति और भी विषम हो गई है। कल तक जिन गांवों व नगरों में 15 से 10 फीट पर पानी मिल जाया करता था। आज वहां सौ से डेढ़ सौ फीट पर भी पानी मिलना मुश्किल हो गया है। नगरों की स्थिति और भी भयावह हो गई है। पानी के लिए लोग जूझते नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके जल संचयन को लेकर लोगों के मन में जागरूकता का भाव नहीं पनप पा रहा है। ऐसे में साल दर साल भूजल का नुकसान हो रहा है।

लाखों लीटर पानी होता है बर्बाद

जिले में नगरीय क्षेत्रों में आवासीय कॉलोनियों में जल संचयन का ठोस उपाय नहीं होने से लाखों लीटर वर्षा का जल प्रतिवर्ष गंदे नालों में बह जाता है। कंक्रीट के जंगलों में भूमि में वर्षा का जल जाने के लिए कहीं भी सुराग ही नहीं छोड़ा गया है। हर तरफ बस सीमेंट की चादरें बिछी होने से पानी या तो गंदे नालों में चला जाता है या फिर सड़कों पर जमा हो जाता है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी जल संचयन के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। बावजूद इसके खेतों में पानी जाने से कुछ हद वर्षा का जल रिचार्ज होने की संभावना बन जाती है।

-संचयन से बढ़ेगा पानी

संचयन की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आने की जरूरत है। यदि जल का संचयन होगा जीवन सुरक्षित रह पाएगा। सभी का यह दायित्व बनता है कि वे कम से कम पानी का उपयोग करने के साथ वर्षा के जल का संचयन करने के लिए घर के आस-पास वाटर रिचार्ज की व्यवस्था करें। ताकि गंदे नालों में बहने वाले पानी को फिर से जमीन में वापस कर जल स्तर को मेंटेन किया जा सके।