-नहरों में पानी न होने से पिछड़ रही नर्सरी

- जून प्रथम पखवारे तक पड़ जानी चाहिए थी धान की नर्सरी

CHANDAULI: धान के कटोरे में अभी तक कई किसान नर्सरी नहीं डाल पाए हैं। क्योकि मूंसाखाड़ डिविजन से संबद्ध गंगा नहर में अभी भी पानी की दरकार है। जबकि कृषि विशेषज्ञों द्वारा च्च्छे उत्पादन के लिए मई के अंतिम और जून के प्रथम सप्ताह तक खेतों में नर्सरी डाल देनी चाहिए थी। हालांकि अधिशासी अभियंता जल्द ही नहर में पानी छोड़े जाने की बात कह रहे हैं।

उत्पादन पर पड़ेगा असर

जनपद में काफी बड़े भू भाग पर किसानों द्वारा धान की रोपाई की जाती है। किसानों के अनुसार खरीफ के फसल से ही रबी की फसल को आधार मिलता है। अगर नर्सरी डालने में देर हुई तो समूची खेती पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वहीं ¨सचाई विभाग द्वारा 8 जून को नहरों के पानी छोड़ने का रोस्टर निर्धारित किया था। किसानों की व्यथा यह है कि एक ओर जहां साधन संपन्न किसान अपने निजी संसाधनों से नर्सरी खेतों में डाल रहे हैं वहीं मझोले व सीमांत किसान जो ¨सचाई के लिए नहर पर आश्रित हैं, अभी हाथ पर हाथ ही धरे बैठे हैं। किसानों की मानें तो नर्सरी में विलंब होने पर जहां उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है वहीं रबी की खेती भी पिछड़ जाती है। किसानों का कहना है कि ¨सचाई विभाग द्वारा नहर चलाने के रोस्टर में किसानों की सहमति नहीं ली जाती है, जो समस्या का मूल कारण है।

रोस्टर से चलेंगी नहर

मूंसाखाड़ डिविजन के अधिशासी अभियंता एसएन पांडेय ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा निर्धारित रोस्टर के अनुरूप नरायनपुर पंप कैनाल चलाने के लिए निर्देशित किया गया है। रोस्टर निर्धारण में ¨सचाई विभाग के सभी डिविजन, कृषि विभाग, किसान बंधुओं की सहमति से ही तय होता है।