-पान खाकर जहां-तहां थूकना अपना अधिकार समझते हैं बनारसी

-पान की पीक से पूरे शहर को कर दिया है बदरंग

-शहर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां लाल नजर ना आए

VARANASI

'खइके पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला' गाना तो शहर के लोग बड़े तबीयत से सुनते हैं लेकिन पान खाने के बाद उनका दिमाग कितना खुलता है यह तो पता नहीं लेकिन पान खाकर जगह-जगह थूकना अपनी शान समझते हैं। शहर का ऐसा कोई कोना नहीं होगा जहां पान की पीक नजर ना आए। सरकारी बिल्डिंग हो या प्राइवेट सब पान से लाल रहती हैं। बनारस के सांसद और पीएम नरेन्द्र मोदी भी बनारसियों के इस आदत से वाकिफ हुए। उन्होंने कई बार अपने भाषण में इसका उल्लेख भी किया। लेकिन बनारसी पान खाना अपनी शान और जगह-जगह थूकना अपनी आजादी समझते हैं।

रंग दिया पूरा शहर

बनारस जितना फेमस अपने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए है उतना ही पान के लिए भी है। यहां पान की पैदावार तो नहीं होती लेकिन यहां पान बेचने वाले इतनी खूबी से पान का बीड़ा तैयार करते हैं कि जिसने एक बार खाया वो दीवाना हो गया। शहर में भी इसके शौकीन बड़ी संख्या में हैं। इस शहर में हजारों पान की दुकानें और खाने वाले लाखों में। पान मुंह में घुलाने के थोड़ी देर बाद उसे थूकना जरूरी हो जाता है। लोग भले ही पान खाते वक्त यह जरूर सोचते हैं कि किस दुकान से खाना है लेकिन पीक थूकने के वक्त बिल्कुल भी नहीं। जहां मन किया वहीं थूक दिया। इसे लेकर अक्सर नोकझोंक-मारपीट तक हो जाती है।

कुछ ऐसी है आदत

-बनारस के पान खाने के शौकीन चलती गाड़ी से थूककर रोड को लाल कर देते हैं

-गलियों का रंग भी पान की पीक से लाल हो जाता है

-पान थूकने के लिए बेहतरीन कलर से रंगे हुए डिवाइडर सबसे पसंदीदा जगह है

-गवर्नमेंट बिल्डिंग हो तो उसका कोना पान की पीक से लाल होना तय है

-सरकारी कर्मचारी भी पान साथ लेकर दफ्तर आते हैं और इधर-उधर थूकते हैं

-प्राइवेट इमारतों की दीवारों पर भी पान की पीक खूब दिखायी देती है

-हॉस्पिटल जिसे बेहद साफ-सुथरा होना चाहिए वहां भी लोग पान थूकने से बाज नहीं आते हैं

-धार्मिक स्थल भी पान की पीक से नहीं बच पाये हैं इस शहर में

होता है बड़ा नुकसान

-बनारस के लोगों की पान खाकर जहां-तहां थूकने की आदत से बड़ा नुकसान होता है

-पान के शौकीनों की हरकत से बदरंग हुई दीवारों को पेंट कराने में लोगों को हर साल काफी रुपये खर्च करने पड़ते हैं

-सरकारी इमारतों की साफ-सफाई में भी रुपयों की बर्बादी होती है

-बदरंग डिवाइडर और सार्वजनिक जगहों का रंग-रोगन भी समय-समय पर कराना पड़ता है

-टूरिस्ट्स से पटे रहने वाले शहर की छवि पान की पीक खराब करती है

-जगह-जगह थूकने से बीमारी फैलती है

एक नजर

10

हजार हैं शहर में पान की दुकानें

5

लाख लोग पान खाने के हैं शौकीन

500

रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है नगर निगम की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों पर

100

पर भी नहीं हो पाती है पूरे साल में कार्रवाई

10

लाख टूरिस्ट्स पान के पीक से बदरंग शहर की हालत देखते हैं

पान खाकर गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जगह-जगह थूककर वो पूरे शहर को गंदा करते हैं।

कमल, अस्सी

पान खाकर थूकना लोग अपना अधिकार समझते हैं। उन्हें इस बात का फर्क नहीं पड़ता है कि वो कहां गंदगी कर रहे हैं।

संतोष, गोदौलिया

शहर की सड़क से लेकर सार्वजनिक इमारत तक पान की पीक से लाल नजर आती है। टूरिस्ट्स इसे देखते हैं और शहर की छवि खराब होती है।

सुधांशु, पाण्डेयपुर