- सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का हुआ निर्वाह, गाजी मियां के आस्ताने पर लगा मेला

-हजारों लोगों ने दरगाह पर पहुंच कर लगायी हाजिरी, हिन्दू भी हुए शामिल

VARANASI

सैय्यद सालार मसूद गाजी मियां के ख्वाहिशों पर पानी फिर गया और वे इस साल भी कुंवारे रह गये। बड़े अरमानों के साथ बेचारे गाजी मियां दूल्हा बने थे। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक घराती और बाराती किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गये। नतीजा यह हुआ कि शादी को अगले साल तक के लिए टाल दिया गया। सारी तैयारियां धरी की धरी रह गयीं। गाजे बाजे और आतिशबाजी के नजारे फीके पड़ गये।

हिन्दू भी हुए शामिल

गाजी मियां की शादी न होने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। जिसका निर्वाह इस साल भी रविवार को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। गाजी मियां की शादी का आयोजन हुआ, लेकिन शादी नहीं हो सकी। हर साल की तरह इस बार भी जैनपुरा (जैतपुरा) से गाजी मियां की प्रतीकात्मक बारात सलारपुर स्थित उनके आस्ताने पर पहुंची थी। सलारपुर में हर साल की तरह मेले का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और गाजी मियां की दरगाह पर हाजिरी लगायी। मेले में मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में हिन्दू भी शामिल हुए, जो इस मेले की एक खासियत है। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही वर्गो ने मनौती पूरी होने पर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। आस्ताने पर मुर्गे का प्रसाद चढ़ाया गया।

निभाया सामाजिक दायित्व

मेले में विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से कैंप लगाये गये थे। सुल्तान क्लब की ओर से बड़ी बाजार बुनकर मार्केट में दो दिवसीय प्रशासनिक सहायता व स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। कैंप का इनॉगरेशन सेंट्रल हज कमेटी के मेंबर डॉ इफ्तेखार अहमद जावेद के साथ क्लब के अध्यक्ष एहतेशामउल हक, एच हसन, शमीम रियाज आदि ने किया। बतौर स्पेशल गेस्ट कार्यक्रम में शहर उत्तरी के विधायक रविन्द्र जायसवाल, शहर उत्तरी के पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी भी उपस्थित हुए। कैंप में पहले दिन 370 लोगों के हेल्थ की जांच की गयी। कैंप को सफल बनाने में डॉ। जुनैद अहमद, डॉ। गुलजार, डॉ रियाज अहमद, डॉ अजय कुमार शुक्ला, डॉ फैसल रहमान, अजय वर्मा, जावेद अख्तर, का महत्वपूर्ण योगदान रहा।