नगर निगम एक साल के भीतर सफाई को लेकर बना चुका है एक दर्जन प्लान

रमना में लोगों ने कूड़ा गिरने से रोका, नगर आयुक्त से की मुलाकात

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शहर को साफ-सुथरा रखना सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है। नगर निगम ने एक साल के भीतर एक दर्जन प्लान बनाये लेकिन एक भी काम नहीं कर पाया। हालात ये है कि इन दिनों शहर में गंदगी का अंबार के साथ निगम के पास प्लान का भी अंबार लग गया है। वहीं कूड़े को फेकने के स्थान का भी सही ठिकाना न होने के कारण शहर में ही कूड़ा पड़ा रह जाता है। इन दिनों रमना डंपिंग ग्राउंड में लगी आग से उठते धुएं के विरोध में क्षेत्रीय लोगों ने ग्राउंड में कूड़ा नहीं फेकने दे रहे हैं। इसके कारण शहर से कूड़े का उठान नहीं हो पा रहा है।

किस काम की ये मीटिंग

शहर की गंदगी को देखते हुए सोमवार को मेयर राम गोपाल मोहले ने निगम के अधिकारियों के साथ मीटिंग की और उन संस्थाओं को बुलाने को कहा है जिन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने की इच्छा जतायी थी। यानि एक बार और नगर निगम प्लान बनाने में उलझने जा रहा है। शहर के मेयर नगर निगम के अधिकारियों के साथ लगातार बैठक करते है लेकिन जनता को गंदगी से निजात नहीं दिला पाये। इससे पहले नगर निगम ने जो प्लान सब फ्लाप साबित हुए।

शहर को गंदगी से छुटकारा दिलाने के लिए बने प्लान

- करसड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनकर तैयार लेकिन नहीं कर रहा काम।

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का प्लान नहीं हो सका शुरू।

- जिन वार्ड में कलेक्शन शुरू हुआ वहां भी मंडरा रहे संकट के बादल।

- रमना डंपिंग ग्राउंड के कूड़े को निस्तारित करने के लिए नहीं हुई पहल

- कचरे से बायो गैस बनाने का प्लान भी हो गया फ्लाप।

- ठंडे बस्ते में गया कूड़े से खाद बनाने का प्लान।

- कूड़ा बिनने वालों से डोर-टू-डोर कलेक्शन का प्लान भी नहीं हुआ शुरू।

निगम का कूड़ा प्रबंधन

- जनसंख्या : 19 लाख से अधिक

- रोजाना निकलने वाला कूड़ा : 600 मीट्रिक टन

- रोजाना कूड़ा उठान : 550 मीट्रिक टन

- अस्थाई डंपिंग क्षेत्र रमना : रास्ता खराब, ग्रामीणों का विरोध

- कूड़ा घर : 23 बंद, दो ओपेन, सात नए निर्माणाधीन।

- कूड़ा निस्तारण का समय : सुबह और रात

निगम के पास संसाधन

- 27 सौ सफाईकर्मी

- जेसीबी : सात

- डंफर : 18

- डंफर क्रेसर : 9

- टैंकर : 12 पुराना, पांच नया

- हापर : 11

- छोटा हापर (टाटा एस) : 32